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________________ विमानस्थान-अ०८, (६४९) छाथ विरेचनोपयोगी होतेहैं । पूतीकरंज, करंज, मसूर, अनारका छिलका, कमीला, 'विंडग, इन्द्रायन इनके क्वाथ विरेचनोंके योग्य होते हैं। पीलू, चिरोंजी, किसमिस, 'कंभारी, फालसा, बेर, अनार, आम्ले, हरड, बहेडा, दोनों पुनर्नवा, विदारीगंधा, इनके कषाय विरेचनोंके योग्य होते हैं। सीधू, सुरा, सौवीरक, तुषोदक, मैरेय, मैदक,मदिरा,मधु,मधूलक,धान्याम्ल,पेवंदी वेर,छोटावेरखजूर,जंगलीबेर,दही, दधिमण्ड, घोल यह सब विरेचनके उपयोगी होते हैं । गौ, भैंस, बकरी और भेडका दूध तथा मूत्र विरेचनोपयोगी होता है। इनमेंसे जिस समय जो मिल सके और जिसमकार जिस स्थानमें जैसे उपयोग करना उचित हो उस प्रकार इनको बची बनाकर अथवा चूर्ण या अवलेह, स्नेह, क्वाथ, मांसरस, यूष, तांबलिक, यवागू, दूध, नस्य, मोदक आदिमें तथा अन्य द्रव्यके उपयोगसे जैसे उपयोग करना उचित हो उसप्रकार योग बनाकर उचित रीतिसे विरेचन योग्य मनुष्यको देवे। यह विरेचनद्रव्योंके कल्पका संग्रह कथन कियागया और विस्तारपूर्वक इनका वर्णन कल्पस्थानमें करेंगे ॥ १५८ ॥ आस्थापनका वर्णन । आस्थापनेषुतुभूयिष्ठकल्पानिस्युर्द्रव्याणिनामतोविस्तरणोपदिश्यमानान्यपरिसंख्येयानिस्युरतिबहुत्वात् । इष्टश्वानतिसंक्षेपविस्तरोपदेशस्तन्त्रइष्टश्चकेवलंज्ञानंतस्माद्रसतएवतान्यनुव्याख्यास्यन्ते ॥ १५९ ॥ आस्थापन द्रव्योंके अनेक नाम होतेहैं।उन संपूर्ण द्रव्य नामको विस्तारसे वर्णन करें तो वह बहुत होनेसे असंख्य होजातेहैं । और शास्त्रमें अत्यन्त विस्तारसे और अतिसंक्षेपसे कथन करना इष्ट नहीं है केवल उन संपूर्ण द्रव्योंका ज्ञान होना इष्ट है। इसलिये उनके ज्ञानको रसके अनुसार वर्णन करतहैं ॥ १५९ ॥ रसानुसार भास्थापन । रससंसर्गविकल्पविस्तारोाषामपरिसंख्येयासमवेतानारसानामंशांशबलविकल्पातिबहुत्वात्तस्माद्रव्याणाञ्चैकदेशमुदाहरणाथरसेष्वनुविभज्यरसैकैकदेशेनचनामलक्षणार्थश्चषडास्थापनस्कन्धारसतोऽनुविभज्यव्याख्यास्यन्ते । यत्तुषड्विधमास्थापनमाचक्षतभिषजस्तदुर्लभतरंसंसृष्टरसभूयिष्ठत्वाद्र्व्याणाम् । तस्मान्मधुराणिमधुरप्रायाणिमधुरप्रभावाणिमधुरप्रभावप्रा-.":.
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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