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________________ (६३४) चरकसंहिता-भा० टी०। • शुक्रसार मनुष्य शास्त्र, ज्ञान, धन, संतानयुक्त और सन्मानके योग्य होताहै। तथा सौम्य, सुन्दरस्वरूप,दूधकोसी कांतिवाला,पूर्ण और प्रसन्न नेत्रोंवाला होताहै चिकने शरीरवाला, धनयुक्त, सुन्दर, सुडौल शरीर, तथा खूबसूरत दंतपंक्तीवाला होताहै । एवम् स्वर, वर्ण, उत्तम, चिकने होतेहैं तथा यह कांतिवान् और बड़े नितम्वोंवाला अधिक वीर्ययुक्त स्त्रियोंका प्यारा,कामी तथा बलवान होताहै१२२]. सत्त्वसार। सुखैश्वर्यारोग्यवित्तसम्मानापत्यभाजःस्मृतिमन्तोभक्तिमन्तःकतज्ञाःप्राज्ञाःशुचयोमहोत्साहादक्षाधीराःसमरविक्रान्तयोधिनःत्यक्तविषादाःसुव्यवस्थितागम्भीरबुद्धिचेतसःकल्याणाभिनिवेशिनश्चसत्त्वसाराः ॥ १२३॥ सत्त्वसार मनुष्य सुख, ऐश्वर्य, आरोग्यता, वित्त, सन्मान और संतानवाला होताहै तथा स्मृतिवान्, भक्तिवान्, कृतज्ञ, बुद्धिमान, शुद्ध, महोत्साही,चतुर और धीर होतेहैं । एवम् युद्ध के समय पराक्रमके साथ युद्ध करनेवाले,विषादरहित,स्थिरस्वभाव, गंभीरबुद्धि और गंभीरचित्त तथा कल्याणकी इच्छावाले होतेहैं ॥१२३। तेषांस्वलक्षणैरेवगुणाव्याख्याताः ॥ १२४ ॥ इसपकार लक्षणों सहित त्वक्, सार आदि आठ प्रकारके सारवाले पुरुषोंके लक्षण और गुणोंका वर्णन कर दिया गयाहै ॥ १२४ ।। सर्वसार। तत्रसर्वैःसारैरुपेताःपुरुषाभवन्त्यतिबलाःपरंगौरवयुक्ताः क्लेशसहाःसारभेष्वात्मनिजातप्रत्ययाः कल्याणाभिनिवेशिनः स्थिरसमाहितशरीराःसुसमाहितगतयःसानुनादस्निग्धगम्भीरमहास्वराःसुखैश्वर्यवित्तोपभोगसम्मानभाजामन्दजरसोमन्दविकाराःप्रायस्तुल्यगुणविस्तीर्णापत्याचिरजीविनश्च॥१२५॥ . जो मनुष्य इन संपूर्ण सारोंस युक्त होते हैं वह अत्यन्त बलवान्, गौरवयुक्त, क्लेश सहन करनेकी सामर्थ्यवाले,संपूर्ण कामोंको अपने आप करनेकी इच्छावाले, कल्याण करनेकी इच्छावाले, स्थिर और दृढशरीरवाले मुसमाहित गतिवाले, अनुः नादसहित स्निग्ध, गंभीर और महास्वरवाले, सुख, ऐश्वर्य, वित्त उपभोगवाले, सम्मान पात्र और उनको बुढापा शीघ्र नहीं आता, विकार शीघ्र उत्पन्न नहीं
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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