________________
विमानस्थान अ०
(६१९) जिसकी उत्पत्तिको लक्ष्यकर फर्ता प्रवृत्त होताहै उसको कार्य कहतेहैं ॥ ८३ ।
___ कार्यफलम्। कार्यफलंपुनस्तद्यत्प्रयोजनाकार्याभिनिवृत्तिरिष्यते ॥ ८४ ॥ जिस प्रयोजनसे कार्य कियाजाय उसी प्रयोजनकी सिद्धिको कार्यफल कहते
अनुबन्ध। . अनुबन्धस्तुकारमवश्यमनुबध्नातिकार्यादुत्तरकालंकार्यनि
मित्तःशुभोवाप्यशुभोवाभावः॥८५॥ ___ कर्ताको अवश्य बंधन में लानेवाला कार्यके अंतमें होनेवाला अवश्यंभावी 'शुभाशुभभाव अनुबंध कहाजाताहै ॥ ८ ॥
देश। देशस्त्वधिष्ठानम् ॥ ८६॥ कार्यके (स्थान) अधिष्ठानको देश कहतेहैं ॥ ८६ ॥
काल. कालःपुनःपरिणामः ॥ ८७॥ और ऋत्वादिरूप परिणामको काल कहतेहैं ॥ ८७॥
प्रवृत्ति । प्रवृत्तिस्तुखलचेष्टाकाार्थासैवक्रियाकर्मयत्नःकार्यसमार. ' म्भश्च ॥ ८८॥
कार्यके सम्पादन करनेके लिये जो काकी चेष्टा है उसको प्रवृत्ति कहतेहैं ।। वही क्रिया, कर्म, यल और कार्यसमारंभ भी कहीजातीहै ।। ८८ ॥
उपाय। उपायाःपुनःकारणादीनांसौष्ठवमभिसन्धानञ्चसम्यक्कार्यफलानुबन्धोपायवानांकार्याणामभिनिवर्त्तकइत्यतोऽभ्युपायःकृतेनोपायाथोंऽस्तिनचविद्यतेतदात्वेकताचोचरकालंफलं फलान्चानुबन्धइतिव्याख्यातंदशविधम् ॥ ८९॥ . कार्यके उत्पादन करनेमें कारण, करण,समवायिकारण, देश,काल और प्रवृत्ति