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________________ विमानस्थान - अ० ८. (iv) आयुर्वेद संबंधी संपूर्ण कमाँको गुरुसे सीखा हो और स्वयं भी यथोचित रीतिपर संपूर्ण कमको अनेक वार किया हुआ हो । सब कमोंमें चतुर हो, संपूर्ण आयुर्वेद विद्याको जाननेवाला हो, पवित्र हो, जिसका हाथ हरएक कार्यके करनेमें हल्का और स्पष्ट हो, जो आयुर्वेदीय यंत्र, शस्त्र, क्षार, औषध आदि संपूर्ण सामग्री रखता हो, सर्वेन्द्रियसम्पन्न हो, जिसके शररिके संपूर्ण अंग उत्तम हों। सव मनुष्योंकी प्रवृत्ति तथा भेदका जाननवाला हो आयुर्वेद के संपूर्ण सिद्धान्तोको ठीक जाननेवाला हो, जिसने संपूर्ण शास्त्र पढे हों, वह याद हों अहंकार रहित हो, निंदक और क्रोधी नहो, क्लेशों को सहन करनेवाला हो, शिष्यपर प्रेम करनेवाला हो और प्रेमपूर्वक पढानेवाला हो, जिस विषयको पढ़ावे उसको उदाहरण आदि द्वारा स्पष्टरूपसे समझानेवाला हो। इस प्रकार आचार्य जैसे ऋतुकालमें अच्छी भूमिमें मेघ वरस - कर उत्तम खेतीको उत्पन्न करता है उसीप्रकार अपने शिष्यको शीघ्र वैद्यकके गुणोंसे सम्पन्न कर देता है । वैद्य होनेकी इच्छावाले शिष्यको उचित है कि ऐसे गुरुके समीप जाकर उसको अग्नि के समान, देवता के समान, राजाकै समान, पिताके समान तथा स्वामीके समान जानकर अप्रमत्त होकर सेवा करे । ऐसे गुरुकी कृपासे. संपूर्ण शास्त्रको पटकर शास्त्रमें दृढता उत्पन्न करने के लिये तथा कथन करनेमें चतुराई उत्पन्न करनेके लिये शास्त्रीय विषयका यथोचित ज्ञान प्राप्त करनेके लिये और जाने हुए विषयको वर्णन करने के लिये उत्तम शक्ति उत्पन्न करने का यत्नवान् रहे ॥ २ ॥ तत्रोपायाव्याख्यास्यन्ते । अध्ययनमध्यापनंतद्विद्यालम्भाषेत्युपायाः ॥ ३ ॥ अव उन उपायोंका अर्थात् योग्य वैद्य बनने के उपायोंका कथन करते हैं। जैसे पढना ( अध्ययन करना ) पढाना और उसी शास्त्रमें शास्त्रार्थ आदि सम्भाषण करना यह तीन उपाय शास्त्रमें व्युत्पन्न होने के हैं ॥ ३ ॥ अध्ययनकी विधि | तत्रायमध्ययनविधिः कल्ये कृतक्षणः प्रातरुत्थायोपव्युषं वा कृत्वावश्यकमुपस्पृश्योदकंदेवगोब्राह्मण गुरुवृद्धसिद्धाचार्येभ्योनम - स्कृत्य समेशुचौ देशेसुखोपविष्टोमनःपुरःसराभिर्वाग्भिःसूत्रमनुक्रामन्पुनःपुनरावर्त्तयेद्बुद्ध्यासम्यगनुप्रविश्यार्थतत्त्वस्वदोषपार १ उपव्युपमिति किचिच्छेषायां रात्रो । --
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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