SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 558
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अथ विमानस्थानम्। प्रथमोऽध्यायः । अथातोरसविमानंव्याख्यास्यामइति हस्माह भगवानात्रेयः। इहखलुव्याधीनांनिमित्तपूर्वरूपरूपोपशयसंख्याप्राधान्याविधिविकल्पबलकालविशेषाननुप्रविश्यानन्तरंरसद्रव्यदोषविकारभेषजदेशकालवलशरािहारसारसात्म्यसत्त्वप्रकृतिवयसांमानमवहितमनसायथावज्ज्ञेयंभवतिभिषजारसादिमानज्ञानायत्तत्वातक्रियायाः । नहिअमानज्ञोरसादीनांभिषव्याधिनिग्रहसमर्थोभवति । तस्माद्रसादिमानज्ञानार्थविमानस्थानमुपदेश्यामोऽग्निवेश ! तत्रादौरसद्रव्यदोषविकारप्रभावानवक्ष्यामः ॥१॥ अब हम इस विमानस्थानकी व्याख्या करते हैं, इस प्रकार भगवान् आत्रेयजी कथन करने लगे। प्रथम वैद्यको चाहिये कि व्याधियोंके-निमित्त, पूर्वरूप, रूप, उपशय,संख्या,प्राधान्य, अनेक प्रकारका विकल्प, विधि, वल, और कालविशेषको यथोचित रीतिसे जानलेवे, तदनन्तर, दोष, औषध, देश, काल,बल,शरीरं,आहार, सार, सात्म्य, सत्त्व, और प्रकृति तथा अवस्थाके मानको सावधानतासे यथोचित रीतिपर जानना चाहिये। क्योंकि जबतक इन दोष आदिकोंका यथोचित ज्ञान न होगा तबतक वैद्यककी क्रियाका आरम्भ नहीं हो सकता । इन सबके प्रमाणको न जाननेवाला वैद्य व्याधिको दूर करनेमें समर्थ नहीं हो सकता । हे अग्निवेश ! इस लिये दोष आदिकोंके यथोचित प्रमाण जाननेके अर्थ विमानस्थानका कथन करते हैं। इनमें प्रथम रस और द्रव्य तथा दोष और विकार इनके विमान (प्रमाण) को कथन करते हैं ॥१॥ रसोंका वर्णन ! रसास्ताक्षट्मधुराम्ललवणकटुतिक्तकषायास्तसम्यगुपयुज्यमानाःशरीरंयापयन्तिामिथ्योपयुज्यमानास्तुखलुदोषप्रकापनायोपकल्पयन्ति ॥ २॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy