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________________ .निदानस्थान-अ० १. ... . . . विकल्पसम्पाप्तिके लक्षण । 'विकल्पोनामसमवेतानांपुनर्दोषाणामंशांशंबला नर्थे ॥ १५ ॥ : मिले हुए दोषों के अंशांश कल्पना को विकल्प कहते हैं । जैसे-सन्निपात ज्वरके अनेक विकल्प हैं ॥ १५ ॥ बलकालका लक्षण । बलकालविशेषःपुनर्व्याधीनामृत्वहोरात्राहारकालविधिनियतो भवति ॥ १६ ॥ व्याधियोंका ऋतु, दिन, रात्रि, आहार, काल और विधि भेदसे बल और कालका जानना वलकाल विशेष संप्राप्त कहा जाता है । जैसे-वसन्त ऋतुर्मे कफ का काल कृत वल हाता है एवम् रात्रिके प्रथम भागमें कफका बल होता है, दिनके प्रथम भागमें कफका बल होता है और भोजनके प्रथम भागमें कफका बल होता है एवम् शरद ऋतुमें, मध्य रात्रिमें, मध्य दिनमें, भोजनके मध्यमें, अथवा भोजनकी परिपाकावस्था में पित्तका बल होता है। इसी प्रकार वर्षा ऋतुमें, रात्रिके अंतमें, दिनके अंतमें, भोजनके अंतमें वातका बल होता है । इसी प्रकार कफकी व्याधिका वसंत ऋतु कोपकाल है,पित्तका शरद,आधी रात्र, मध्याह,और भोजनका परिपाक समय कोपकाल जानना।इस प्रकार वल,काल,विशेष,समाप्ति जानना॥१६॥ तस्माद्याधीनभिषगनुपहतसत्त्वबुद्धिर्हेत्वादिभिर्भावयथावद. , नुबुध्येत् ॥ १७॥ इस लिये बुद्धियुक्त वैद्य हेतु आदिक भावोंसे अर्थात् निदानादिकों द्वारा रोगकी यथार्थ परीक्षा करे ॥ १७ ॥ विशेषतासे निदान कथन । इत्यर्थसंग्रहोनिदानस्थानस्योद्दिष्टःभवतितविस्तरेणभूयः परमतोऽनुव्याख्यास्यामः ॥१८॥ इस प्रकार सक्षेपसे संपूर्ण निदानको कथन कियाहै । अब फिर विशेषरूपसे कथन करते हैं ॥ १८॥ ___ तत्रप्रथमएवतावदाद्याल्लोभाभिद्रोहकोपप्रभवानष्टोव्याधीन्निदा नपूर्वेणक्रमेणअनुव्याख्यास्यामः ॥ १९ ॥ अव क्रमपूर्वक लोभ और अभिद्रोह अथवा : मिथ्याआहार और अनाचारसे उत्पन्न हुई आठ प्रकारकी व्याधियोंको. निदानादि क्रमसे कथन करते हैं:॥ १९ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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