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.( ४०८) चरकसंहिता-भा० टी०। स्थान बारह बारह अध्यायोंमें तथा निदानस्थान और विमानस्थान एवम् शारी रस्थान आठ आठ अध्यायोंमें वर्णन कियेगयहैं ॥२८॥
स्वस्वस्थानेयथास्वञ्चस्थानार्थउपदेक्ष्यते
सविंशमध्यायशतंशणनामक्रमागतम् ॥ २९॥ ... . सूत्रादिस्थानोंमें उन स्थानोंके स्थानार्थ अर्थात् स्थानोंके विषय कथन कियेहैं। इन सब स्थानोंके १२० अध्याय हुएं । उन सब अध्यायोंके क्रमपूर्वक नाम श्रवण करो ॥ २९ ॥....
... भेषजाश्रयअध्यायोंके नाम । .. " " दीर्घजीवोऽप्यपामार्गतंडलारग्वंधादिकौ।।
षड्विरेकाश्रयश्चेतिचतुष्कोभेषजाश्रयः ॥ ३०॥ जैसे-दीर्घजीवितीय, अपामार्गतंडुलीय, आरग्वधादि, और षड्विरेचन शता. नितीय-इन चार अध्यायोंमें औषधियों का विषय वर्णन किया गयाहै ॥ ३०॥
स्वास्थ्यवृत्तिक अध्यायोंके नाम । - मात्रातस्याशितीयौचनवेगान्धारणतथा। .. . 2. इन्द्रियोपक्रमश्चेतिचत्वारःस्वास्थ्यवृत्तिकाः ॥ ३१॥ मात्राशितीय, तस्याशितीय, नगान्धारणीय और इन्द्रियोपक्रमणीय-ये चार । अध्याय स्वाथ्यरक्षाक विषयमें कथन कियेगये हैं ॥ ३१ ॥ . . .
'- नैर्देशिक अध्यायोंके नामः । . . . — खुड्डाकश्चचतुष्पादोमहांस्त्रिौषणस्तथा।
सहवातकलाख्येनविद्यान्नेदेशिकान्बुधः ॥ ३२ ॥ . खुड्डाकचतुष्पाद, महाचतुष्पाद, विस्लेषणीय और वातकलाकलीय-ये चार अध्याय कर्तव्य और अकर्तव्य के विषयमें कथन कियेगये हैं ॥ ३२ ॥
., उपकल्पना विषयकं अध्यायों के नाम । ": :: : स्नेहनस्वेदनाध्यायावुभौयश्चापकल्पनः। . . . :
. : . चिकित्साप्रभृतश्चैवसर्वाएवोपकल्पनाः ॥ ३३॥ • 5 नेहाध्याय, स्वेदाध्याय, , उपकल्पनीयाध्याय और चिकित्साप्रभृतीय-ये चार "अध्याय. उपकल्पनाके विषयों कथन किये गये हैं ।।.३.३ ॥. .. . . . ., ...