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(३७६) . चरकसंहिता-मा० टी०॥
स्वभावका वर्णन । स्वभावाल्लघवोमुद्गास्तथालावकपिञ्जलाः ।
स्वभावाद्गुरवोमाषावराहमहिषास्तथा ॥ ३३१ ॥ मूंग, लवा और काजल यह स्वभावस ही हलके होते हैं एवम् उडद, वराह, भैंसा यह स्वभावसे ही भारी होते हैं ।। ३३१॥
धातुओंका लघुगुरुत्व । धातूनांशोणितायानांगुरुविद्यायथोत्तरम् । अलसेभ्योविशिष्यन्तेप्राणिनोयेबहुक्रियाः ॥ ३३२ ॥ गौरवेलिङ्गसामान्येपुंसां स्त्रीणाञ्चलाघवम्।महाप्रमाणागुरवःस्वजातौलघवोऽन्यथा ३३३॥ रक्तसे लेकर वीर्यपर्यन्त सब धातुयें प्रथमकी अपेक्षा दूसरी क्रमपूर्वक भारी माननी । सामान्य जातिके पशुओंमें भी आलसियोंकी अपेक्षा बहुत फिरनेवाले पशु उत्तम होते हैं । इसी प्रकार स्त्री और पुरुषजातिके जीवोंमें पुरुषजातिके जीव भारी और स्त्रीजातिके हलके होते हैं । एकजातिमें भी बडे शरीरवाला जीव भारी और छोटे शरीखाला उसकी अपेक्षा हलका होता है ॥ ३३२॥ ३३३ ॥
संस्कार और मात्राकृत गुरुलघुत्व । गुरूणालाघवंविद्यात्संस्कारात्सविपर्ययम् ।
बीहे जायथाचस्युःसक्तनांसिद्धपिण्डकाः ॥ ३३४॥ संस्कारके भेदसे भारी पार्थ हलके हो सकते हैं। और हलके भारी हो सकते हैं । जैसे चावलोंकी अपेक्षा खीर हलकी होती एवम् सत्तुओंकी अपेक्षा घृतपक्व मोदक भारी होजाते हैं ॥ ३३४ ॥
अल्पादानेगुरूणाञ्चलघूनांचातिसेवने ।
मात्राकारणमुद्दिष्टंद्रव्याणांगुरुलाघवे ॥३३५॥ भारी पदार्थ थोडा भक्षण करनेसे लघुपाकी अर्थात हलका होजाताहै और हलका पदार्थ भी बहुत खायाजानेसे भारी होजाताहै इसीलये द्रव्योंके हलके और भारीपनमें मात्राहीको कारण कहना चाहिये ।। ३३५ ॥
गुरूणामल्पमादेयंलघूनांतृप्तिरिष्यते। मात्रामपेक्षतेद्रव्यंमात्राचानिरपेक्षते ॥३३६॥
भारीपनमें मान बहुत खायाजानेसे भाको अर्थात हलका