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________________ सूत्रस्थान-अ० २७. गोधाविपाकेमधुरा कषायकटुकारसे। वातपित्तप्रशमनावृहणीबलवाईनी ॥ ७५॥ गोहका मांस विपाकमें मीठा है, रसमें कषाय तथा कटु है, एवम् वातपित्त नाशक बृंहण तथा बलवर्धक होताहै ॥७॥ शल्लकोमधुराम्लस्तुविपाकेकटुकःस्मृतः। वातपित्तकफनश्चकासश्वासहरस्तथा ॥ ७६ ॥ सेहका मांस-मधुर है, अम्ल है, विपाकमें कटु है तथा वात, पित्त, कफ इनको नष्ट करताहै एवम् कास, श्वासको हरताहै ।। ७६ ॥ रोहूमछलीके मांसके गुण । शैवलाहारभोजित्वात्स्वप्नस्यचविवर्जनात् । रोहितोदीपनीयश्चलघुपाकोमहाबलः ॥ ७७॥ रोहमछली-सिवार खाती है आर निद्रा रहित है इसलिये इसका मांस दपिन, लघुपाकी और अत्यन्त वलकारक है ॥ ७७ ॥ गुरूष्णमधुरावल्याबृंहणाःपवनापहाः। मत्स्याःस्निग्धाश्चवृष्याश्चवहुदोषाःप्रकीर्तिताः ॥ ७॥ अन्य मछलियां-भारी, उष्ण, मधुर, वलकारक, वृंहण, वातनाशक, स्निग्ध, वीर्यवर्द्धक तथा बहुतेरे दोषोंको करनेवाली होती हैं ॥ ७८ ।। - कछुएक मांसका गुण। वल्योवातहरोवृष्यश्चक्षुष्योबलवर्द्धनः । मेधास्मृतिकर पथ्यः शोषतः कर्मउच्यते ॥७९॥ कूर्मका मांस-बलकारक, वातनाशक, वीर्यवर्द्धक, नेत्रोंको हितकारी, मेधा और स्मृतिका बढानेवाला; पथ्य एवम् शोषनाशक होताह ॥ ७९ ॥ स्नेहनंबृहणंवृष्यंश्रमनमानलापहम् । वराहपिशितंवल्यंरोचनंस्वेदनंगुरु ॥ ८०॥ ' सूअरका मांस-स्नेहन, बृहण, वीर्यवर्धक,श्रमनाशक,वातहर,बलवर्धक,रुचिका: रक, स्वेदजनक एवम् भारी होताहै.॥ ८॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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