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________________ होताह । हरियलपक्षीकाल में एरंडकी लकडोय ॥ १२३ ॥ सूत्रस्थान-अ० २६. (३१३) याद वह बगुलेका मांस सूअरकी चर्बी में भूजकर खायाजाय तो शीघ्र प्राणोंको नष्ट करताहै ॥ ११९ ॥ मायूरमासमेरण्डसीसकासक्तमेरण्डाग्निप्लुष्टंसद्योव्यापादयति ॥ १२०॥ तदेवभस्मपांसुपरिध्वस्तंसक्षौद्रंमरणाय ॥१२१॥ हारीतकमांसंहारिद्राग्निप्लुष्टंसद्योव्यापादयति। मत्स्यतैलनि__ स्ताडनसिद्धाःपिप्पल्यस्तथाकाकमाचीमधुचमरणाय॥१२२॥ मधुचोष्णमुष्णातस्यचमधुमरणाय ॥ १२३ ॥ ... भोरका मांस एरंडतैलमें एरंडकी लकडीके आगसे भूजाहुआ शीघ्र प्राणोंको नष्ट करताहै । हरियलपक्षीका मांस कदम्बकी लकडीकी आगसे भूजा हुआ प्राणनाशक होताहै । एवम् हरियल पक्षीका मांस भस्म और धूल तथा शहदयुक्त होनेसे प्राणनाशक होताहै । मछलीके तेलवाले पात्रमें सिद्ध कीहुई पिपली तथा मकोह शहदके साथ खानेसे मृत्युकारक होतेहैं ॥१२० ॥ १२१ ॥ १२२ ॥ शहदको गर्मकर खाना अथवा गर्मी से पीडितको गर्मकर शहद देना मृत्युकारक होताहै ॥ १२३ ॥ मधुसर्पिषीतुल्येमधुवारिचान्तरिक्षसमधृतंमधुपुष्करबीजंमधु पीत्वोष्णोदकंभल्लातकोष्णोदकम् ॥ १२४ ॥ . शहद और घी दोनों वरावर मिलाकर खाना, अथवा शहद और आकाशका जल या शहद और कमलगट्टे अथवा शहद पीकर गम जल पीना एवम् भेलावा खाकर गर्म जल पीना विषके समान होताहै ॥ १२४ ॥ तक्रसिद्धःकम्पिल्लकापर्युषिताकाकमाची,अङ्गारशूल्योभासइतिविरुद्धानीत्येतद्यथाप्रश्नमाभानिर्दिष्टम् ॥ १२५॥ कमीलेको छाछमें सिद्ध करके खाना, बासी मकोयकासाग और सींखचे(शूलमें तपाया मांस )ये विरुद्ध भोजन हैं । इस प्रकार जैसे तुमने पूंछा वैसा हमने यथोचित रीति पर विरुद्ध आहारका वर्णन करदियाहै ॥ १२५ ॥ . भवन्ति चात्र श्लोकाः। यत्किञ्चिद्दाषमासायननिहरतिकायतः । आहारजातंतत्सर्वमहितायोपपद्यते ॥ १२६ ॥ यहां श्लोक हैं:-कि जो आहार दोषोंको कुपित कर देहसे बाहर नहीं निकालता वह सब आहेतकर्ता जानना चाहिये ॥ १२६ ॥ .
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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