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________________ (२८७) । सूत्रस्थान-अ० २६. द्रव्य विशेषके संयोग, विभाग, कल्पना, और संस्कारविशेषसे - आसर अपने २ कारणोंके अनुसार अनेक प्रकारके गुण करतेहैं । संयोग, संस्कार, देश, काल, मात्रा आदिका विचार करके ही आसवोंका उपयोग करना चाहिये । इस प्रकार जो २ आसव जिस २ प्रकार जिस २ पदार्थ से बनताहै उसका यथोचित वर्णन किया गया है ॥ ५१॥ भवंतिचात्र । उपसंहार। मनःशरीराग्निवलप्रदानामस्वप्नशोकारुचिनाशनानामासंहर्षणानांप्रवरासवानामशीतिरुक्ताचतुरुत्तरेषा ॥ ५२॥ शरीरयोगप्रकृतौमतानितत्त्वेनचाहारविनिश्चयोयः। उवाचयजःपुरु. पादिकेऽस्मिन्मुनिस्तथाय्याणिवरासवांश्चइति ॥५३॥ इत्यन्नपानचतुष्केयजःपुरुषीयोध्यायःसमाप्तः। . इस यज्जापुरुषीय अध्यायमें मन, शरीर, अग्नि और बल बढानेवाले और अनिद्रा, शोक तथा अरुचिको नष्ट करनेवाले हर्षके उत्पन्न करनेवाले ८४ चौरासी आसवॉका वर्णन किया गया है तथा शरीरकी रक्षाके लिये सव प्रकारके आहार और उपाय यथोचित रीति पर महर्षि आत्रेयजीने वर्णन कियेहैं ॥ ५२॥ ५३॥ i इति श्रीमहर्षिचरक० पं० रामप्रसादवैद्य० भापाटीकायां यजापुरुपीयो नाम पञ्चविंशोऽध्यायः ॥ २५ ॥ पतिशोऽध्यायः। अथातआत्रेयभद्रकाप्यीयमध्यायं व्याख्यास्याम इतिहस्माह भगवानात्रेयः। अब हम आत्रेयभद्रकाप्यीय नामके अध्यायकी व्याख्या करतेहैं ऐसा. आत्रेय भगवान् कहने लगे। ऋषियोंका रसविषयक आन्दोलन ।। आत्रेयोभद्रकाप्यश्चशाकुन्तेयस्तथैवच । पूर्णाख्यश्चैवमौद्गल्यो हिरण्याक्षश्चकाशिक: ॥१॥ यःकुंमारंशिरानामभरद्वाजःसचा' नघः । श्रीमान्वायोंविदश्चैवराजामंतिमतांवरः ॥ २ ॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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