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सूत्रस्थान- ५
(६७) रल, और आभूषण धारण करना संपत्ति, मंगल, आयु, इनको बढाताहै, धनबानोंके दोषोंको दूर करताहै, तथा आनंद,काम्यता और ओजको बढ़ाता है।९१॥
.. . पाव आदिधोनेके गुण। . मेध्यम्पवित्रमायुष्यमलक्ष्मीकलिनाशनम् ।
पादयोर्मलमार्गाणांशौचाधानमभीक्षणशः ॥ ९२॥ नित्य पैरों और गुदा आदि मलमागाका धोकर शुद्ध रखना-बुद्धि, पवि. त्रता, आयु, इनको देताहै और अलक्ष्मी तथा कलियुगके दोषोंको दूर करताहै ॥ ९२ ॥
डाढीमूलके वालोंको स्वच्छ रखनेका फल । पौष्टिकंवृष्यमायुष्यंशुचिरूपविराजनम् ।
कश्मश्रुनखादनिांकल्पनसंप्रसाधनम् ॥ ९३ ॥ क्षौरकर्म कराने, नख कटानेसे तथा कंघी आदिस केशोंको साफ रखनेसे-पुष्टि, वृष्यता, आयु, पवित्रता, और सुंदरताकी वृद्धि होती है ॥ ९३ ।।
जूतेधारणके फल ।। चक्षुष्यंस्पर्शनहितंपादयोर्व्यसनापहम् ।
वल्यपराक्रमसुखंवृष्यंपादत्रधारणम् ॥ ९४ ॥ जूता पहनना-नेवों और स्पर्शको हितकारी है तथा बल, पराक्रम, सुख वीर्य, इनको करताहै ॥ ९४ ॥
छत्र आर दण्ड धारणा फल । .. ईताप्रशमनंबल्यंगुप्त्यावरणसंकरम् । धर्मानिलरजोम्बुघ्नं छत्रधारणमुच्यते । स्खलतःसंप्रतिष्ठानं शत्रूणाञ्चनिषधनम् ।अवष्टम्भनमायुष्यभयनंदण्डधारणम् ॥ ९५॥ . छतरी धारणकरना-टीडी आदि जानवरोंका गिरना, ओस, धूप, वायु, जल, धूल, पिशाच आदिकोंसे रक्षा करताहै और वल देताहै । हाथमें डंडा रखना-पांव 'चूककर गिरनेसे वचताहै, शत्रुओंको भय देताहै, देहको सहारा देताहै, और आयु -तथा वलको बढाताहै ।। ९५ ॥