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( ३९) वाळा, व्यभिचारी, खुनी, चोर, दुराचारी, बदमाश, विगेरे-धार्मिक, परोपकारी, सदाचारी, दयाळु सभ्य, उदार, सत्कर्म करनार, सत्य बोलनार गुणवाळा विगेरे केवा छे ? क्या मनुष्यनो जन्म कई सालमां, (संवत के शक, ) मास, पक्ष, तिथि, वार, नक्षत्र अने लग्नमां थयो छे विगेरे जन्मथी मरण पर्यंतनी घणी बाबतो हस्तरेखा उपरथी तेम ललाट विगेरे स्थानो उपरथी जाणी शकाय छ; तेने सामुद्रिक शास्त्र कहे छे जे कुदरती रोते होय छ. जन्म कुंडलीमां तो टाइमनी के बीजी कई भुलोथी फेरफार आवे छे. परंतु आ सामुद्रिक (हस्तरेखा) विगेरेमा तेम बनतुं नथी. अनुं विवेचन करवा बेसी तो मोटा ग्रंथो बने, परंतु मुख्य मुख्य कईक निर्देश जणापेल छे अने वधु जाणवा माटे सारा अनुभवी अने ते. बाबतनुं ज्ञान धरावनार विद्वानू पासे जइ विगतवार खुलासा जाणवाथी वधु आनंद अने ज्ञान थइ भविष्य जाणवानुं बनी शके छ अथवा ते ते बाबतोनां पुस्तको उपरथी कंईक ज्ञान वधारी शकाय छे.
___ हस्त परिक्षा केवी रीते करवी. ___ प्रथम मणिबंध जोवो, पछी बे हाथ जोवा बाद बेउ हाथोना पृष्ट भाग जोवा. त्यार बाद मध्य भाग, रेआओ, करतल उपरनी रेआओ, अंगुलीना नख, वेढा, विगेरे जोवा,
१ हस्तरेखामां प्रकट करपृष्ट भाग जोई उत्तम, मध्यम, कनिष्ट तथा मणीआळो (पोईन्टेड ), चोखंडो (संस्कार ) अथवा चपटो ( स्पेचुलेट) विगेरेमां क्या भेदनो हाथ छे ते प्रथम जोवू. । २ नखो उपरथी प्रकृति (स्वभाव ) अने रोगनी परीक्षा.
३ अंगुलीना मुळथी अग्रभाग पर्यंतनुं माप तथा मणिबंध सुधार्नु माप जोवु.
४ हथेळीमां वास्तविक लंबाई चोडाई अने आंगळीओनी आकृति जोवाय छे.
५ आंगळीओमा टुंकी लांवी कइ. कइ छे ते जोवू.
"Aho Shrutgyanam"