________________
( ३१ )
स्थानमा जो सूक्ष्मरेखा होय तो प्रमेह रोग थाय, अने ते रेखामां छेद होय होय तो सौविदल्ल रोग थाय.
गोत्र रेखानी उपर प्रदेशिनी आंगलिना मूलमां जो मोटी रेखा होय तो ते माणास मरण परदेशमां थाय, अने ते रेखा नानी होय तो तेनु मरण स्वदेशमां थाय.
अने वार चकना अनुसार जे वार योग जोवाना दिवसे होय तो तेनु धातु प्रकोपथी मरण थाय.
पूर्वसमुद्रथी नीकलीने गोत्ररेखा ( पितृरेखा ) नी मध्यमां अंगूठानी नीचे जो वांकी रेखा गयेली होय ते घोडा उपर स्वारी करे, अने ते रेखा सीधी होय तों पालखीमां स्वारी करे वेसे,
जेना हाथमां अंगूठाना मूलमां जेटली ऊर्ध्वररेखा होय तेटली स्त्रीओ सुख होय, अने अंगूठाना मूलमां जो वांकी रेखा होय तो ते पदवीने आपनार होय.
जेना हाथमां गोत्र तथा धन रेखानी मध्यमां भंडारनु सुख समजवु, आयु अने धन रेखानी मध्यमां भोगरेखा समजवी, अने आ रेखा न होय तो तेने कृपण समजवो, अने अंगूठाना मूलपर्वमां लांबीरेखा होय तो तेनो वधे ठेकाणे यश फेलाय, अने कोइनो एवो पण मत छेके कनिष्टाना मूलपर्वमां जो भाग्यरेखा होय छे तेज यश रेखा कहे वाय छे.
राजाना हाथमां तल होय तो सारु नही, बने वाणियाना हाथमां तल होय तो सारु, अने वाणियाना हाथमां ध्वजानु चिन्ह होय तो सारु नही, राजाना हाथमां सारु अंगूठाना मूलमांथी नीकली ने पितृरेखामां मलेलरेखा होय तो तेने यात्रा रखा करेवाय छे. अने तेथी यात्रानो लाभ मले, अने करमथी नीकलीने कोष भंडारनी पासे गयेली रेखाने विद्यारेखा कहेचाय छे. विद्या रेखा तथा मणिबंधना मध्यमां जो वांकी रखा होय तो बाण प्रहार थाय, अने जो आ रखा समान होय तो उदरपीडा थाय, अथवा
"Aho Shrutgyanam"