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( १७ )
तथा जेने आयुरेखानी जमणी तरफ वेध होय तो तेनुं आगथी मृत्यु थाय, डाबी तरफ होय तो सर्पना जेरथी; बन्ने तरफथी होय तो महान रोगथी मरे. जेना जमणा हाथमां धनरेखा मोटी होय तो तेन महान् धन धान्यनो लाभ मले, अने मित्र रेखा मूलमां फाटेली होय तो द्रव्यनो व्यय वधारे थाय.
जेना हाथमां धनरेखाना मूलमां त्रिशूलनो आकार होय तो तेनी पासे लक्ष्मी घणावखत सुधी न टके, भने मध्यमामां त्रिशूलनो आकार होय तो तेनीपासे धन छल कपटथी पेदा करेल होय समजवु.
जे हाथनी मध्यमां आंगलिना मूलमां धर्म रेखा होय छे ते अने ते रेखानो वज्रना जेवो आकार होय तो ते श्रद्धावालो तथा धार्मिक श्राय.
अनामिका आंगलिनी नीचे जो वज्राकार रखा होय तो ते माणास इजतदार थाय, अने जो ते रेखा मां बेघ होय तो तेनी इजत आरुमा हानी पोचे.
अंगूठाथी नीकलीने तर्जनी पासे गयेली रेखा होय तो तेने देवतानु स्थान कहेवामां आवे छे. अने तेथी मृत्यु विगेरेनु ज्ञान जाणी शकाय.
तथा अंगूठाथी उ गयेली रेखा देवतानी मध्यमां जो उंची रेखा होय तो त्रिवेणीना आगलना भागमां तथा तर्जनीनी नीचे एक पण एवी रेखा होय तो ते माणास, आकालो मरे, अने बे रेखा होय तो बन्ने जणा साथै मरे, अने त्रण रेखा, साथे होय तो त्रणनी साथै मरे अने घणी रेखा होय तो घणानी साथै मरे.
जेना डाबा हाथमां बेधवाली त्रण रेखा ओ होय तो तेनु जलमां मृत्यु थाय तथा अंगूठानां उपलापर्वमां जोके पूर्ण जब होय हमेशा यशस्वी थाय तथा, मध्यमां वेध होय तो अडधु फल पचास वर्षनी पछे मले.
जेना हाथमां मणिबन्ध रेखा होय तेने लक्ष्मी तथा सौभाग्यने आपका
" Aho Shrutgyanam"