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- तो तीस वर्ष जीव, तथा चार जवनो मध्यभाग बराबर होय तो वीस वर्ष - जीवे, पांच जव मध्यभाग बराभर होय तो दस वर्ष जीवे .
- जेना कपालनां उपर पांच रेखा होय तो ते माणास एकसो वर्ष जीवे. मणिबन्धमां त्रणजवनी पंक्ति होय तो ते माणास राजा थाय, अने ते जब पंक्ति हाथना पाछला भागमां होय तो पण लाभने आपे छे. अने बे जब पंक्ति होय तो ते राजमन्त्री थाय तथा धनवान् बुद्धिवान् होय, एक जब पंक्ति होय ते माणास शेठ थाय अने नेनी पासे घणु धन होय.
रेखा विचार.
मणिबन्धथी गोत्र रखा करभ- हथेलीना आगलना भागथी धन रेखा अने यश रेखा शुरु थाय छे. आत्रणे रेखा तर्जनी तथा अंगुठाना मध्य - भागमां जाय छे आत्रण रेखा जेना हाथमां पूर्ण होय ते माणास दोष रहित होय, अने ते माणासनु गोत्र, धन, तथा जीवितमां वृद्धि थाय, आत्रण 'रेखाने त्रण लोकनी उपमां बतावेल छे. पितृरेखा, उर्द्ध रेखा, मातृरेखा, मनुष्यलोक आयुरेखा पाताल लोक आम आत्रण रेखा ओ जमणा हाथमां होय छे.
डावा हाथमां आत्रण रेखा ओ धातू मूल तथा जीव मानेल छे.
पितृरेखा बाल्यावस्था, मातृरेखा युवावस्था, आयुरेखा वृद्धावस्था, तथा. 'पितृरेखा वात, मातृरेखा पीत, आयुरेखा कफ, पितृरेखा चर, मातृरेखा स्थिर, आयुरेखा द्वि स्वभाव, मानवामां आवे छे.
पितृरेखा पुरुष, मातृरेखा स्त्री, आयुरेखा नपुंसक मानवामां आवेल छे. पितृरेखा नमश्चर, मातृरेखा स्थल, अने आयुरेखा जलचर मानेल छे. पितृ मातृ तथा आयु आ त्रेण रेखाने अनुक्रमभी सत्वगुण रजोगुण तमोगुण बतावेल छे.
रेखाथी -- गति निर्णय.
जेना डाबा हाथमां पितृरेखा स्पष्ट होय तथा छेदावेल भेदायेल न होय.
"Aho Shrutgyanam"