________________
Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates
पाठ दूसरा
पंच परमेष्ठी
णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं ।।
यह पंच नमस्कार मंत्र है। इसमें सबसे पहिले पूर्ण वीतरागी और पूर्ण ज्ञानी अरहंत भगवानों को और सिद्ध भगवानों को नमस्कार किया गया है। उसके बाद वीतराग मार्ग में चलने वाले मुनिराजों को नमस्कार किया गया है जिनमें आचार्य मुनिराज, उपाध्याय मुनिराज और सामान्य मुनिराज सब पा जाते
हैं।
* 'धवल' में 'अरिहंताणं' व 'अरहंताणं' दोनों ही का प्रयोग हुआ है।
Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com