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४. पाँच इन्द्रिय
हर जीव में जीने की शक्ति समान होती है । परन्तु अनुभव करने की शक्ति हर प्राणियों की अलग-अलग होती है ।
जिन प्राणियों के पास अनुभव करने की पाँचो पाँच इन्द्रियाँ हो उनको पंचेन्द्रिय कहते हैं ।
हर प्राणी पंचेन्द्रिय नहीं होता....
कुछ प्राणी ऐसे होते हैं जिनके पास केवल स्पर्श अनुभव करने की ही शक्ति होती है। एक ही इन्द्रिय होने के कारण इन प्राणियों को एकेन्द्रिय कहते हैं ।
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कुछ प्राणी ऐसे होते हैं जिनके पास स्पर्श के अनुभव की शक्ति तो होती है और साथ में स्वाद अनुभव करने की शक्ति भी होती है । दो इन्द्रिय होने कारण इन प्राणियों को बेइन्द्रिय कहते हैं ।
कुछ प्राणी ऐसे होते हैं जिनके पास स्पर्श और स्वाद के अनुभव करने की शक्ति होती है और साथ में गन्ध अनुभव करने की शक्ति भी होती
है । तीन इन्द्रिय होने के कारण इन प्राणियों को तेइन्द्रिय कहते हैं ।
कुछ जीव ऐसे होते हैं जिनके पास स्पर्श, स्वाद और गन्ध के अनुभव करने की शक्ति होती है और साथ में आँखों से देखकर अनुभव करने की शक्ति भी होती है । चार इन्द्रिय होने के कारण इन जीवों को चउरिन्द्रिय कहते हैं ।
कुछ जीव ऐसे होते हैं जिनके पास स्पर्श, स्वाद, गन्ध और रूप को अनुभव करने की शक्ति होती है और साथ में कान से सुनने की शक्ति भी होती है । पाँच इन्द्रिय होने के कारण इन प्राणियों को पंचेन्द्रिय कहते हैं ।
याद रखो :- एकेन्द्रिय जीवों को स्थावर जीव कहते हैं । बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीवों को त्रस जीव कहते हैं ।
स्थावर जीव :- एकेन्द्रिय जीव स्वयं हलन चलन नही कर सकते, खुद की मरजी से जाना आना उनके लिए शक्य नहीं है । जहाँ जन्म लेते
बालक के जीवविचार • ५
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बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय और चउरिन्द्रिय जीवों के पास एक से ज्यादा इन्द्रिय होती है परन्तु उनके पास पाँच इन्द्रिय नहीं होती, उनके पास पाँच से कम ही इन्द्रिय होती है इसलिए बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय जीवों को विकलेन्द्रिय कहते हैं ।
अब तक हमने पाँच प्रकार से जीवों का विचार किया ।
१. जीने के शक्ति जिसमें हो वह जीव
२. १ त्रस जीव २. स्थावर जीव
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हैं वहाँ से स्वयं खिसक नहीं सकते अतः उनको स्थावर कहते हैं। स्थावर शब्द का अर्थ होता है एक ही जगह स्थिर होना ।
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त्रस जीव :- बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीव स्वयं हलन चलन कर सकते हैं। जिस जगह जन्म हुआ हो वहाँ से दूसरी जगह पर ये चारों जीव स्वयं जा सकते हैं। तकलीफ होती है तो दूर भाग सकते हैं । उनके पास दूर भागने की कुदरती शक्ति होती है इसलिए इन चारों जीवों को उस जीव कहते हैं। त्रस शब्द का अर्थ होता है, तकलीफ होने पर दूर चले जाना ।
एकेन्द्रिय के पास एक ही इन्द्रिय होती है ।
पंचेन्द्रिय के पास पाँच इन्द्रिय होती है ।
३. १. एकेन्द्रिय २. विकलेन्द्रिय ३ पंचेन्द्रिय
४. १. मनुष्यगति २. देवगति ३ तिर्यंचगति ४. नरकगति
५. एकेन्द्रिय, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय
पहले विचार से हम जीव है ।
दूसरे विचार से हम त्रस जीव है ।
तीसरे विचार से हम पंचेन्द्रिय जीव है ।
चोथे विचार से हम मनुष्यगति के जीव है ।
पाँचवे विचार से हम पंचेन्द्रिय जीव है ।
६• बालक के जीवविचार