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इस पुष्करवरार्ध में भी धातकीखण्ड की तरह दो मेरु है । चित्र द्वारा इस बात को समझ सकेंगे ।
मानुषोत्तर पर्व
जम्बूद्वीप
लवणसमुद्र
धातकीखण्ड
दधिसमुद्र
पुष्करवरार्ध
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०
इस प्रकार ढाइ द्वीप में पाँच मेरुपर्वत है ।
हर मेरुपर्वत के साथ में तीन कर्मभूमि होती है ।
महाविदेह क्षेत्र ऐरवत क्षेत्र और भरतक्षेत्र ।
जम्बूद्वीप में एक मेरुपर्वत है इसलिए जम्बूद्वीप में तीन कर्मभूमि है । धातकीखण्ड में दो मेरुपर्वत है इसलिए धातकीखण्ड में छह कर्मभूमि है। पुष्करवरार्ध में दो मेरुपर्वत है इसलिए पुष्करवरार्ध में छह कर्मभूमि है । इस प्रकार जम्बूद्वीप में एक मेरु के साथ तीन कर्मभूमि है । धातकीखण्ड में दो मेरु के साथ छह कर्मभूमि है । पुष्करवरार्ध में दो मेरु के साथ छह कर्मभूमि है ।
बालक के जीवविचार • ५५
चित्र द्वारा इस बात को समझ सकेंगे ।
महा० महा०
ऐरवत - २
५६ • बालक के जीवविचार
ऐरवत २
ऐरखत
महाविदेह० महाविदेह
भरत
भरत-२
भरत
२
म० म०
१५ कर्मभूमि
महा० महा०
ढाइद्वीप में पाँच मेरु है ।
हर मेरुपर्वत के साथ में ६ अकर्मभूमि होती है । हिमवन्त, हिरण्यवन्त, हरिवर्ष, रम्यक् देवकुरु और उत्तरकुरु । जम्बूद्वीप में एक मेरुपर्वत है इसलिए छह अकर्मभूमि है । धातकीखण्ड में दो मेरुपर्वत है इसलिए बारह अकर्मभूमि है । पुष्करवरार्ध में दो मेरुपर्वत है इसलिए बारह अकर्मभूमि है ।