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ये संमूछिम जीव पैदा होते हैं ।
एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय जीवों का जन्म संमूर्छिम जन्म कहलाता है। गन्दकी में, कचरे में, गन्दे पानी में और गन्दे स्थानों में तो पंचेन्द्रिय जीव भी संमूर्छिम प्रकार से जन्म ले लेते हैं । हम इनको देख नहीं सकते । वैसे तो संमर्छिम रूप में एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय इन तीनों का जन्म होता है। फरक इतना ही है कि एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय हमेशा संमूछिम रूप में ही जन्म लेते है और पंचेन्द्रिय मनुष्य गर्भज रूप में भी जन्म लेते हैं और संमूर्छिम रूप में भी जन्म लेते हैं।
३. उपपात जन्म : अपनी गति में तैयार शरीर के साथ उत्पन्न होना वह उपपात है।
देवों का जन्म उपपात द्वारा होता है, जब उनका जन्म होता है तब वे युवान ही होते हैं।
नरक के जीवों का जन्म उपपात द्वारा होता है। जब से उनका जन्म होता है तब से वे भयंकर दुःख में ही होते हैं ।
याद रखो :
पृथ्वीकाय, अपकाय, तेउकाय, वायुकाय और वनस्पतिकाय जीवों का जन्म संमूर्छिम रूप से होता है।
बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय जीवों का जन्म संमूर्छिम रूप से होता है ।
मनुष्य के जीवों का जन्म गर्भज रूप में भी होता है और संमूर्छिम रूप में भी होता है।
तिर्यंच के जीवों का जन्म गर्भज रूप में भी होता है और संमूर्छिम रूप में भी होता है।
देवों के जीवों का जन्म उपपात रूप में होता है । नारकी के जीवों का जन्म उपपात रूप में होता है।
इसप्रकार जीवों के जन्म के तो तीन विभाग होते हैं परन्तु मृत्यु तो सभी की एक जैसी होती है । जब अपना आयुष्य पूर्ण हो जाता है तब ये जीव मर जाते हैं।
२६. जीवों के ५६३ भेद
जीवों के बारह भेद हमने सीख लिये हैं। पर्याप्ति की समझ भी हमने प्राप्त कर ली है। संज्ञा की पहचान भी हमने कर ली है। सूक्ष्म और बादर की जानकारी हमको मिल गई है। अब हमको कुछ गहराई में जाना है।
अब तक हमने जो कुछ सीखा उसके आधार से ही हमें जीवों के ५६३ भेद समझने है । ५६३ इन अंको से आपको डरने की कोई जरूर नहीं है। बहुत ही सरलता से यह गणित होता है।
हमने बारह भेद जो आगे देखें उसमें इन भेदों का समावेश है। १. पृथ्वीकाय
४ भेद २. अप्काय ३. तेउकाय ४. वायुकाय ५. वनस्पतिकाय
६ भेद ६. बेइन्द्रिय ७. तेइन्द्रिय ८. चउरिन्द्रिय ९. पंचेन्द्रिय मनुष्य
३०३ भेद १०. पंचेन्द्रिय देव १९८ भेद ११. पंचेन्द्रिय तिर्यंच
२० भेद १२. पंचेन्द्रिय नारकी
१४ भेद अब गिनना शुरू करो एकेन्द्रिय
२२ भेद विकलेन्द्रिय
६ भेद पंचेन्द्रिय
५३५ भेद
+५३५ कुल मिलाकर कितने भेद हुए ?
५६३
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बालक के जीवविचार • ३७
३८ . बालक के जीवविचार