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विक्षिप्त नजर आते हैं किन्तु उन्होंने अपने प्रारम्भिक जीवन में ही विश्व को मैथिमैटिक्स के क्षेत्र में प्रभावित किया और सिद्ध करके दिखाया कि इस क्षेत्र में हिन्दुस्तान बहुत कुछ कर सकता है। अतः विज्ञान के क्षेत्र में भी बिहार विश्व में बहार लाया है। भारत के विकास एवं समृद्धि में तो इनकी अहम भूमिका है ही विश्व के वैज्ञानिक भी इन्हें लोहा मानते हैं।
दर्शन के क्षेत्र में तो बिहर ने आधार वाक्य का काम किया है। ज्ञान सबसे मूल्यवान चीज है, तभी तो श्रीमद्भगवद् गीता में कहा गया है किन हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते। तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनिविन्दति।।
अर्थात् इस पृथ्वी पर ज्ञान से बढ़कर या उससे बड़ा कोई शुद्धि कर्ता नहीं है। जो कोई कर्मयोग के निरन्तर प्रयास के द्वारा हृदय की पवित्रता प्राप्त कर लिया है, वह स्वयं अपनी आत्मा में सत्य का प्रकाश पा लेता है और वही सत्य का द्रष्टा चरम आनन्द को भी प्राप्त करता है। इसीलिए गीताकार ने आगे फिर बतलाया है कि
श्रद्धाबांल्लमते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः ।
ज्ञानं लब्या परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति।।140 यानि ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् ही आनन्द और शान्ति की प्राप्ति होती है। दर्शन के अन्तर्गत ज्ञानमीमांसा, तत्त्वमीमांसा और आचारमीमांसा का अध्ययन किया जाता है। जहां तक ज्ञानमीमांसा का प्रश्न है, वह ज्ञान का विज्ञान अथवा दर्शन भी कहलाता है। इसे ज्ञान की समीक्षा भी कहा जाता है। इसके अन्तर्गत ज्ञान का स्वभाव, अवस्था, सीमाएँ, फैक्टर्स और उसकी यथार्थता की जांच एवं व्याख्या की जाती है। हरिमोहन भट्टाचार्य के शब्दों में
"The Term epistemology means the science or philosophy of knowledge. Epistemology may be defined as the science which inquires into the nature, condition and factors, the limits and validity of knowledge."141
न्यायशास्त्र उन साधनों व उपायों का ही केवल अनुसंधान नहीं करता, जिनके द्वारा मानव मस्तिष्क ज्ञान को आत्मसात और विकसित करता है। यह तार्किक तथ्यों की भी व्याख्या करता है तथा उन्हें तार्किक सूत्रों में प्रकट करता है, जो सत्य के अन्वेषण में विविध सिद्धान्तों की स्थापना करते हैं। इस तरह प्रमाण विज्ञान के साथ अथवा मानदण्ड निर्मित हो जाते हैं और उनसे हम अपने अन्दर पूर्व से उपस्थित ज्ञान की जांच कर सकते हैं। अब स्पष्ट है कि गौतम एवं उनके अनुयायियों के द्वारा प्रदत्त तर्कशास्त्र प्रमाण का विज्ञान है अर्थात् साक्षी का मूल्य निर्धारण करता है। लौकिक प्रत्यक्ष और अलौकिक प्रत्यक्ष एवं अलौकिक प्रत्यक्ष के तीन भेद हैं-सामान्य लक्षण, ज्ञान लक्षण और योगज। अन्तिम भेद अन्तिम यौगिक अन्तर्दृष्टि है। यह भारत की अमूल्य निधि है और यह निधि बिहार के सपूतों के द्वारा निर्मित किया गया है। इसलिए भारत के विकास एवं गौरव में बिहार की अहम भूमिका स्वतः सिद्ध हो जाता है। प्राचीन
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