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श्री नवकार महामत्र कल्प नमो सिद्धाण इम्ल्यूँ नमः, ॐ नमो आयरियाणं रम्ल्यूँ नमः, ॐ नमो उवज्झायाण झर्य नमः, ॐनमोलोग सव्यसादण झाल्ये नमः, अमुकस्य यदिनो मोक्ष कुरु कुरु स्वाहा ॥३२॥
इस मनका साधन फरते समय मनको पट्ट पर अष्टगधसे लिखना, पह सोनेका हो चादीका वायेका या जैसी शक्ति हो टेवे । मनलिख कर पट्टको याजोट पर स्थापित करे, आलम्बनमें श्रीपार्थनाय भगवानकी प्रतिमा अथवा मनमोहक चित्र स्थापित कर सामने वैठे, चित्रको नासिका सीधमें ऐसे ढगसे स्थापित करे कि जो ठीक मध्यमे आवे याने चित्रका मान्य और नासिकाका मन्य सीधा मिला हुचा रहे। बाद में धूप दीप आदि सामग्री जो जयणा सहित काममें छेनेकी हो वह लेवे और पाचसी घुप्प सफेद जाई के लेकर पुष्प छायम टेवा जाय और मन बोलता जाय, मत्र पूर्ण होते ही पुष्पको उन स्थिविमें मत्रके उपर चदाता जाय तो बन्दीवानका इटकारा होता है। बन्दीवानके लिए फोई दूसरा जाप करे तो भी यह मात्र काम देता है।