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श्री नवकार महामंत्र कल्प
॥ हृदय शुद्धि मंत्र ॥ ॐ ऋषभेण पवित्रेण पवित्रीकृत्य आत्मानं एनीमहे स्वाहा ॥६॥
प्रत्येक मंत्र साधनके काममें अंतःकरणको शुद्ध रखने की अति आवश्यकता है इस लिए इस मंत्रका जाप करना चाहिए, और ईर्ष्या कुविकल्प चार कषायका त्याग करना, झूठ नहीं बोलना और हृदयको निर्मल बनाना ।
॥ मुख पवित्र करण मंत्र ॥
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ॐ नमो भगवते झौ ह्री चन्द्रप्रभाय चन्द्रमहिताय चन्द्रमूर्त्तये सर्वसुखप्रदायिने स्वाहा ॥
इस मंत्र द्वारा मुख पवित्र बनाना जिससे चेहरे पर गम्भीरता, सरलता, नम्रता, सुशीलता, सभ्यता आदिका भाव मुखपर झलकता रहे जिससे सज्जनताका परिचय हो जाय और कृत्रिमताका भास न होने मावे |
॥ चक्षु पवित्र करण मंत्र ॥
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ॐ ह्री क्षी महामुद्रे कपिलशिखे हूँ फट्
स्वाहा ||८||