________________
अष्ट पाहुड़storate
स्वामी विरचित
Pratisthe-NEHANE
आचार्य कुन्दकुन्द
UN
Dool
Door
樂樂男男崇崇崇崇明藥業崇宪業乐業業乐業%業%崇崇崇
इसके पद 'छब्बीस करोड़' हैं। १२. बारहवां 'प्राणवाद' नामक पूर्व है जिसमें आठ प्रकार का वैद्यक और भूतादि व्याधि दूर करने के मंत्रादि तथा विष दूर करने के उपाय तथा स्वरोदय आदि का वर्णन है। इसके 'तेरह करोड़' पद हैं। १३. तेरहवां 'क्रियाविशाल' नामक पूर्व है जिसमें संगीतशास्त्र, छंद और अलंकारादि तथा चौंसठ कला, गर्भाधानादि चौरासी क्रिया, सम्यग्दर्शन आदि 'एक सौ आठ' क्रिया, देव-वंदनादि पच्चीस क्रिया और नित्य नैमित्तिक क्रिया इत्यादि का वर्णन है। इसके पद 'नौ करोड़' हैं। १४. चौदहवां "त्रिलोकबिंदुसार' नामक पूर्व है जिसमें तीन लोक का स्वरूप, बीजगणित का स्वरूप तथा मोक्ष का और मोक्ष की कारणभूत क्रिया इत्यादि का वर्णन है। इसके पद 'बारह करोड़, पचास लाख' हैं। इस प्रकार ये चौदह पूर्व हैं जिनके सर्व पदों का जोड़ "पिच्यानवे करोड़, पचास लाख, पांच' है। (५) बारहवें अंग का पांचवां भेद 'चूलिका' है उसके निम्न पांच भेद हैं। उनके पद 'दस करोड़, उनचास लाख, छियालिस हजार' हैं। १. वहाँ 'जलगता' चूलिका में जल का स्तंभन करना और जल में गमन करना तथा अग्नि का स्तंभन, अग्नि में प्रवेश और अग्नि का भक्षण करना इत्यादि के कारणभूत मंत्र-तंत्रादि का प्ररूपण है। इसके पद 'दो करोड़, नौ लाख, नवासी हजार, दो सौ' हैं। इतने-इतने ही पद अन्य चार चूलिका के जानने। २. दूसरी "स्थलगता' चूलिका है उसमें मेरु पर्वत और भूमि इत्यादि में प्रवेश करना एवं शीघ्र गमन करना इत्यादि क्रिया के कारणभूत मंत्र, तंत्र और तपश्चरणादि का प्ररूपण है। ३. तीसरी 'मायागता' चूलिका है उसमें मायामयी इंद्रजाल और विक्रिया के कारणभूत मंत्र, तंत्र एवं तपश्चरणादि का प्ररूपण है। ४. चौथी 'रूपगता' चूलिका है उसमें सिंह, हाथी, घोड़ा, बैल और हिरण इत्यादि अनेक प्रकार के रूप पलट लेना तथा उसके कारणभूत मंत्र, तंत्र और तपश्चरण आदि का प्ररूपण है तथा चित्राम, काष्ठ और लेपादि के लक्षण का वर्णन और
धातु, रस एवं रसायन का निरूपण है। 崇明崇明崇明聽聽聽聽%戀戀戀勇兼業助兼業
崇养崇崇崇崇崇崇崇崇勇攀藤勇攀事業樂業禁帶男