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गाथा २६
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जो चौंसठ चमर सहित हैं, चौंतीस अतिशय सहित हैं, सदैव बहुत प्राणियों का हित करने वाले हैं
और कर्मक्षय के कारण हैं ऐसे तीर्थंकर परमदेव पजने योग्य हैं।
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