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गाथा १५,१६
अन्त में निर्वाण
होता है।
।
उससे तीर्थंकरादि अभ्युदय पद पाकर
उसके ज्ञान से शीलवानपने की प्राप्ति होती है।
पदार्थ उपलब्धि से श्रेय-अश्रेय जाना जाता है।
उससे सब पदार्थों की उपलब्धि होती है।
सम्यग्दर्शन से ज्ञान सम्यक होता है।
मोक्षमार्ग का मूल सम्यग्दर्शन है।
Www.NAHANAME
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