________________
आभार
श्रीमान् एवं श्रीमती महताब सिंह जी जैन जोहरी के सुपौत्र भाई शैलेन्द्र जिन्हें अपनी आo মুসারী আল ভ্র0 জুলরা সঁন চেী वात्सल्यमयी धार्मिक शिक्षाओं एवं प्रेरणा से बचपन से ही धर्म की रुचि बनी और उसी रुचि के कारण एवं ग्रंथ की साज-सज्जा तथा सौन्दर्य से अतिशय भाव विभोर होकर उन्होंने अपनी जीवन संगिनी सौ० पीयूषी जैन की सहमति से अपने नाना-जानी श्रीमान उनसेन एवं सुलोचना देवी जी की स्मृति में इस ग्रंथ को प्रकाशित करवाया । उन्हें शुभाशीष देते हुए वीर प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि ये दोनों ही भव्य आत्माएँ शीघ्र ही मोक्ष की भाजन बनें।
कु० कुन्दलता एवं आभा जैन
उन्मलता क
A
M