SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 297
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्ट पाहुए . sarata स्वामी विरचित आचार्य कुन्दकुन्द FDOG) Deo/S Jal -Doc/N lood Dod Oload अर्थ जो आत्मा आत्मा में रत होकर यथार्थ स्वरूप का अनुभव करके तद्रूप होकर श्रद्धान करता है वह प्रगट सम्यग्द ष्टि होता है, उस आत्मा को जानता है सो सम्यग्ज्ञान है तथा उस आत्मा का आचरण करता है अर्थात् रागद्वेष रूप नहीं परिणमता सो चारित्र है-ऐसे यह निश्चय रत्नत्रय है सो मोक्षमार्ग है। भावार्थ आत्मा का श्रद्धान-ज्ञान-आचरण सो निश्चय रत्नत्रय है और बाह्य में इसका व्यवहार जीव-अजीवादि तत्त्वों का श्रद्धान करना, जानना तथा परद्रव्य-परभावों का त्याग करना है इस प्रकार निश्चय-व्यवहार स्वरूप रत्नत्रय मोक्ष का मार्ग है। इनमें निश्चय तो प्रधान है जिसके बिना व्यवहार संसारस्वरूप ही है तथा व्यवहार है सो निश्चय का साधनस्वरूप है, इसके बिना निश्चय की प्राप्ति नहीं होती और निश्चय की प्राप्ति हुए पीछे व्यवहार कुछ रहता नहीं-ऐसा जानना।३१।। 添添添馬擺明崇樂樂樂業先添馬添樂樂樂事業事業事業先機 先养养樂業禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁禁 आगे संसार में इस जीव ने जो जन्म-मरण किये वे कुमरण किये, अब सुमरण का उपदेश करते हैं : | टि0-1.गाथा में 'कुन्दकुन्द स्वामी' ने निचय रत्नत्र्य को ही मोक्षमार्ग कहा परन्तु भावार्थ में पं00 जयचंद जी' ने निचय व्यवहारात्मक रत्नत्र्य को मोक्षमार्ग कहते हुए उसकी इस प्रकार से प्ररूपणा की है कि 'आत्मा का श्रद्धान-ज्ञान-आचरण निचय रत्नत्र्य है और सात तत्त्वों का श्रद्धान व ज्ञान निचय सम्यग्दनि ज्ञान का व्यवहार है व परद्रव्य-परभाव का त्याग करना निचय चारि का व्यवहार है। निचय और व्यवहार रत्नत्र्य में साध्य-साधन भाव होता है परन्तु साधन साध्य के लिए होता है, साध्य साधन के लिए नहीं अत: साध्य ही प्रधान होता है परन्तु उसकी प्रधानता होने पर भी साधन की भी कीमत होती है क्योंकि उसके बिना साध्य की सिद्धि नहीं होती और साध्य की सिद्धि के बाद साधन की कुछ भी आव यकता रहती नहीं।' ५-३६ 崇崇明藥業業業助業 m
SR No.009483
Book TitleAstapahud
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Chhabda, Kundalata Jain, Abha Jain
PublisherShailendra Piyushi Jain
Publication Year
Total Pages638
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size151 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy