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(२९)
बस इसतरह कर्ता कहें परमार्थ ज्ञायक आतमा । जो जानते यह तथ्य वे छोड़ें सकल कर्तापना ॥ ९७ ॥
व्यवहार से यह आतमा घटपटरथादिक द्रव्य का । इन्द्रियों का कर्म का नोकर्म का कर्ता कहा ॥ ९८ ॥
परद्रव्यमय हो जाय यदि पर द्रव्य में कुछ भी करे । परद्रव्यमय होता नहीं बस इसलिए कर्ता नहीं ॥ ९९ ॥
ना घट करे ना पट करे ना अन्य द्रव्यों को करे । कर्ता कहा तत्रूपपरिणत योग अर उपयोग का ॥१००॥
ज्ञानावरण आदिक जु पुद्गल द्रव्य के उनको करे ना आतमा जो जानते वे
परिणाम हैं । ज्ञानि हैं ॥१०१॥