________________
प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
n
कलुषताप निकन्द श्री अभिनन्द, अनुपम चन्द है। ।
पदवंद वृन्द जजे प्रभु भवदन्द-फन्द निकन्द है।। ॐ ह्रीं श्री अभिनन्दननाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। ५. श्री सुमतिनाथ भगवान का अर्घ्य
(कवित्त) जल चंदन तन्दुल प्रसून चरु, दीप धूप फल सकल मिलाय । नाचिराचि शिरनाय समरचों, जय जय जय जय जय जिनराय ।। हरिहर वंदित पापनिकंदित, सुमतिनाथ त्रिभुवन के राय । तुम पदपद्म सद्मशिवदायक, जजत मुदित मन उदित सुभाय ।। ॐ ह्रीं श्री सुमतिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
६. श्री पद्मप्रभ भगवान का अर्घ्य
(चाल होली) जल फल आदि मिलाय गाय गुन, भगति भाव उमगाय। जजों तुमहिं शिवतियवर जिनवर, आवागमन मिटाय ।। मन-वच-तन त्रय धार देत ही, जनम जरा मृत जाय।
पूजों भावसों, श्री पदमनाथ पद सार, पूजों भावसों ।। ॐ ह्रीं श्री पद्मप्रभजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
७. श्री सुपार्श्वनाथ भगवान का अर्घ्य
(चौपाई आँचलीबद्ध) आठों दरब साजि गुनगाय, नाचत राचत भगति बढ़ाय । दयानिधि हो, जय जगबन्धु दयानिधि हो ।। तुम पदपूजों मन-वच-काय, देव सुपारस शिवपुरराय ।
दयानिधि हो, जय जगबन्धु दयानिधि हो।। ॐ ह्रीं श्री सुपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।