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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
मुनिवर आज मेरी... मुनिवर आज मेरी कुटिया में आए हैं। चलते फिरते...चलते फिरते सिद्ध प्रभ आए हैं। टेक।। हाथ कमंडल बगल में पीछी है, मुनिवर पे सारी दुनिया रीझी है। नगन दिगम्बर हो... नगन दिगम्बर मुनिवर आए हैं।।१।। अत्र अत्र तिष्ठो हे मुनिवर, भूमि शुद्धि हमने कराई है। आहार कराके... आहार कराके नर नारी हर्षाये हैं ।।२।। प्रासुक जल से चरण पखारे हैं, गंधोदक पा भाग्य संवारे हैं। शुद्ध भोजन के...शुद्ध भोजन के ग्रास बनाये हैं।।३।। नग्न दिगम्बर मुद्रा धारी हैं, वीतरागी मुद्रा अति प्यारी है। धन्य हुए ये...धन्य हुए ये नयन हमारे हैं।।४।। नग्न दिगम्बर साधु बड़े प्यारे हैं, जैन धरम के ये ही सहारे हैं। ज्ञान के सागर...ज्ञान के सागर ज्ञान बरसाये हैं ।।५।।
जंगल में मुनिराज अहो... जंगल में मुनिराज अहो मंगल स्वरूप निज ध्यावें। बैठ समीप संत चरणों में, पशु भी बैर भुलावें ।।टेक ।। अरे सिंहनी गौ वत्सों को, स्तनपान कराती । हो निशंक गौ सिंह सुतों पर, अपनी प्रीति दिखाती ।। न्योला अहि मयूर सब ही मिल, तहाँ आनन्द मनावें। बैठ समीप संत चरणों में, पशु भी बैर भुलावें ।।१।। नहीं किसी से भय जिनको, जिनसे भी भय न किसी को। निर्भय ज्ञान गुफा में रह, शिवपथ दर्शाय सभी को।। जो विभाव के फल में भी, ज्ञायक स्वभाव निज ध्यावें ।। बैठ समीप संत चरणों में, पशु भी बैर भुलावें