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प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि
प्रतिमा प्रक्षाल पाठ
(दोहा) परिणामों की स्वच्छता, के निमित्त जिनबिम्ब । इसीलिए मैं निरखता, इनमें निज प्रतिबिम्ब ।। पञ्च प्रभु के चरण में, वन्दन करूँ त्रिकाल ।
निर्मल जल से कर रहा, प्रतिमा का प्रक्षाल ।। अथ पौर्वाह्निकदेववन्दनायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजास्तवनवन्दनासमेतं श्री पंचमहागुरुभक्तिपूर्वककायोत्सर्गं करोम्यहम् ।
(नौ बार णमोकार मन्त्र पढ़ें)
(छप्पय ) तीन लोक के कृत्रिम और अकृत्रिम सारे। जिनबिम्बों को नित प्रति अगणित नमन हमारे ।। श्री जिनवर की अन्तर्मुख छवि उर में धारूँ।
जिन में निज का निज में जिन-प्रतिबिम्ब निहारूँ।। मैं करूँ आज संकल्प शुभ, जिन प्रतिमा प्रक्षाल का। यह भाव सुमन अर्पण करूँ, फल चाहूँ गुणमाल का।।
ॐ ह्रीं प्रक्षालप्रतिज्ञायै पुष्पांजलिं क्षिपेत् । (प्रक्षाल की प्रतिज्ञा हेतु पुष्प क्षेपण करें)
(रोला) अन्तरंग बहिरंग सुलक्ष्मी से जो शोभित । जिनकी मंगल वाणी पर है त्रिभुवन मोहित ।। श्री जिनवर सेवा से क्षय मोहादि विपत्ति । हे जिन! श्री लिख पाऊँगा निजगुण सम्पत्ति ।।
( प्रक्षाल की चौकी पर केशर से श्री लिखें)