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दुखमयी पर्याय क्षणभंगुर सदा कैसे रहे? अमर है ध्रुव आतमा वह मृत्यु को कैसे वरे? ध्रुवधाम से जो विमुख वह पर्याय ही संसार है। ध्रुवधाम की आराधना आराधना का सार है।
संयोग क्षणभंगुर सभी पर आतमा ध्रुवधाम है। पर्याय लयधर्मा परन्तु द्रव्य शाश्वत धाम है। इस सत्य को पहिचानना ही भावना का सार है। ध्रुवधाम की आराधना आराधना का सार है॥
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