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जिनके विमल उपदेश में, सबके उदय की बात है। समभाव समताभाव जिनका, जगत में विख्यात है। जिसने बताया जगत को, प्रत्येक कण स्वाधीन है। कर्ता न धर्ता कोई है, अणु-अणु स्वयं में लीन है।
आतम बने परमातमा, हो शान्ति सारे देश में। है देशना सर्वोदयी, महावीर के सन्देश में।
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