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२३२. संगठन से सत्य बहुत मजबूत होता है। २३३. सत्य और शान्ति समझ से मिलती है, समझौते से नहीं। २३४. सत्य नहीं, सत्य की खोज खो गई है। सत्य को नहीं,
सत्य की खोज को खोजना है। २३५. जिनकी सत्ता है, वे सभी सत्य हैं। २३६. निर्भयता सत्य के आधार पर आती है, कल्पना के आधार
पर नहीं। २३७. सत्य बोलने के लिए सत्य जानना जरुरी है। २३८. संयम मुक्ति का साक्षात् कारण है। २३६. संयम की सर्वोत्कृष्ट दशा ध्यान है। २४०. आत्मस्वरूप में लीनता ही तप है। २४१. तप आत्मा की वीतराग परिणतिरूप शुद्धभाव का नाम है। २४२. स्वाध्याय और ध्यान अंतरंग तप हैं और तपों में सर्वश्रेष्ठ हैं।