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८३. क्रोधादि मनोविकारों से आत्मा को भिन्न जानना ही विवेक है।
८४. वास्तविक तत्त्वज्ञान ही विवेक है।
८५. विवेक के बिना जीव जहाँ भी जायेगा ठगा जायेगा । ८६. बिना विवेक के श्रद्धा अंधी होती है।
८७. सत्यासत्य का निर्णय हृदय से नहीं, बुद्धि से - विवेक से होता है ।
८८. विवेकी का मार्ग आलोचना का मार्ग नहीं ।
८६. विवेकी वक्ता को सहिष्णु अवश्य बनना चाहिए । ६०. विवेकी को रचनात्मक मार्ग अपनाना चाहिए ।
६१. अनुशासन-प्रशासन हृदय से नहीं, बुद्धि से चलते हैं। ९२. सफलता, विवेक के धनी कर्मठ बुद्धिमानों के चरण चूमती है। ६३. ज्ञानियों की भक्ति उनके प्रमुदित मन का परिणाम होती है।
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