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________________ है ही, साथ ही सरल, सरस और रोचक होने से सामान्य पाठकों को भी बाँधे रखने में समर्थ है। इसप्रकार यह सभी पाठकों के लिए अत्यन्त उपयोगी कृति है। विदेशों में हो रहे इस महान कार्य को गति देने के उद्देश्य से इस ट्रस्ट ने बालबोध पाठमाला भाग १, २ व ३, वीतराग-विज्ञान पाठमाला भाग १, २ व ३, तत्त्वज्ञान पाठमाला भाग १ व २, जैन सिद्धान्त प्रवेशिका, जैन बालपोथी, अहिंसा : महावीर की दृष्टि में, धर्म के दशलक्षण, तीर्थंकर भगवान महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, क्रमबद्धपर्याय, अपने को पहिचानिए, कुन्दकुन्द शतक, तीर्थंकर भगवान महावीर, मोक्षमार्ग प्रकाशक, आप कुछ भी कहो एवं गोम्मटेश्वर बाहुबली - इन २० पुस्तकों के अंग्रेजी अनुवाद कराके प्रकाशित किये हैं। इन पुस्तकों की २० हजार से अधिक प्रतियाँ विदेशों में पहुँचकर धर्म का अलख जगा चुकी हैं। हमारा पूर्ण विश्वास है कि डॉ. भारिल्ल की अन्य कृतियों के समान यह कृति भी पाठकों के हृदय में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान वनाएगी और इसके भी अनेक भाषाओं में अनुवाद होंगे। अन्त में शुद्ध व आकर्षक मुद्रण के लिए जयपुर प्रिंटर्स प्रा. लि., जयपुर व मुद्रण व्यवस्था के लिए साहित्य प्रकाशन व प्रचार विभाग के प्रभारी अखिल बंसल को धन्यवाद देना चाहूँगा, जिनके सहयोग से अल्पसमय में पुस्तक का प्रकाशन सम्भव हो सका है। दान-दातारों का भी मैं आभार मानता हूँ, जिनके आर्थिक सहयोग से पुस्तक की कीमत इतनी कम रखी जा सकी है तथा जिनकी सूची पुस्तक के अन्त में दी गई है। सभी आत्मार्थी भाई-बहिन इस कृति से लाभान्वित हों - ऐसी मंगल भावना है। नेमीचन्द पाटनी महामंत्री
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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