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जैनमक्ति और ध्यान
तो यह चाहेगा भी नहीं कि आप वही उद्योग लगावें, वही व्यापार करें; पर जैनियों के भगवान सभी को भगवान बनने की ही विधि बताते हैं । ___अरे भाई, भगवान तो भगवान बनने की विधि बताते हैं, पर हम तो उनके बताये मार्ग पर नहीं चल सकते हैं न ? अतः हमारे किस काम की है वह विधि ? हमें तो कुछ ऐसा मार्ग बतावें कि जिस पर हम चल सकें ।
अरे भाई, भगवान तो यह कहते हैं कि तुम स्वयं भगवान हो और भगवान बन भी सकते हो । इसीलिए वे तुम्हें भगवान बनने की विधि
भी बताते हैं, पर तुम कहते हो कि हम इस मार्ग पर चल नहीं सकते। __ ऐसी अनुत्साह की बात क्यों करते हो ?
कोई भी समझदार व्यक्ति पाँच लाख के हाथी से यह नहीं कहता कि __एक गिलास पानी लाना, पर पाँच वर्ष की कन्या से कहता है; क्योकि वह
ला सकती है, हाथी नहीं ला सकता । जब लोक में भी कोई समझदार व्यक्ति उससे वह काम करने के लिए नहीं कहता, जो उस काम को कर नहीं सकता; अपितु उससे ही कहता है, जो कर सकता है तो क्या भगवान या आचार्यदेव तुमसे भगवान बनने की बात बिना सोचे-समझे कर रहे होंगे? क्या वे इतना भी नहीं समझते कि तुम कर सकते हो या नहीं ? भगवान बनने का कार्य तुम कर तो सकते हो, पर सबसे बड़ी बाधा तुम्हारी यही मान्यता है कि हम तो यह कार्य कर ही नहीं सकते । अतः तुम इस मान्यता को छोड़ दो और उत्साह से बात को समझो ।
अरे भाई, भगवान तुम्हें भगवान बनने की विधि बता रहे हैं और भगवान बनने की प्रेरणा भी दे रहे हैं - यह हमारा और तुम्हारा महान भाग्य है । चक्रवर्ती की सुन्दरतम कन्या हमारे गले में वरमाला डालने को आवे और हम मुँह फेर लें तो समझ लेना चाहिये कि हमारा भाग्य ही फिर