________________
211
जैनभक्ति और ध्यान
हॉल में रखे गये थे । प्रवचनों के विषय पूर्ववत ही थे और उपस्थिति भी अच्छी रहती थी । ___ लासएंजिल्स में जयश्री वैन एवं नरेशभाई पालकीवाला के घर पर ठहरे थे । नरेशभाई तत्त्वप्रेमी तो हैं ही, स्वाध्यायी व्यक्ति भी हैं । अतः उन्होंने स्वयं के घर व गिरीशभाई के घर पर एवं रमेश खण्डार के घर पर दोपहर में एक-एक दिन चर्चा के कार्यक्रम भी रखे थे, जिसमें अनेक लोग अपने कार्य से अवकाश लेकर उपस्थित होते थे और निमित-उपादान आदि विषयों पर गंभीर चर्चा होती थी । ___ लासएंजिल्स से १२ जुलाई, १९९१ को शिकागो पहुँचे । यहाँ एक प्रवचन हॉल में, दो प्रवचन निरंजनभाई के घर पर एवं एक प्रवचन विजयभाई के घर पर हुआ । विषय लगभग पूर्ववत ही रहे, चर्चा भी अच्छी हुई। यहाँ टी.वी. वाले भाई आये थे । उन्होंने टी.वी. पर देने के लिए प्रवचन के आवश्यक अंशों की फिल्म बनाई, साथ में हमारा इन्टरव्यू भी लिया जिसमें जैनदर्शन सम्बन्धी जानकारी प्राप्त की, जिसे वे अमेरिका के किसी चेनल से प्रसारित करने वाले हैं ।
शिकागो से १७ जुलाई, १९९१ को वोस्टन पहुँचे, जहाँ १९ जुलाई तक रहे । प्रतिदिन मंदिर के हॉल में प्रवचन चर्चा के प्रभावक कार्यक्रम हुए। इन्दुबेन रतिभाई ढोड़िया के घर पर भी एक प्रवचन रखा गया । २० जुलाई को न्यूयार्क आ गये, जहाँ एक प्रवचन डॉ. धीरूभाई के घर पर व एक प्रवचन मन्दिरजी में रखा गया । तत्त्वचर्चा भी रखी गई । सभी कार्यक्रम बहुत अच्छे रहे ।
न्यूयार्क से २४ जुलाई को लन्दन आ गये, जहाँ लक्ष्मीचंदभाई भगवानजीभाई के घर पर ठहरे और छह दिन तक प्रतिदिन सायं हॉल में प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये । यहाँ दो प्रवचन तो उस विशाल हॉल में रखे गये थे, जो अफ्रीका से आई हुई वीसा ओसवाल जैन समाज ने १०७ एकड़ जमीन लेकर बनाया है और जहाँ एक विशाल जैन मन्दिर