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आत्मा ही है शरण
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बच्चा भी भीड़ में गायब हो गया तो मुश्किल हो जायेगी; क्योकि उसकी तो रिपोर्ट लिखी हुई है । पुलिस की कस्टडी से बालक का गायब हो जाना, उसकी नौकरी जाने का कारण भी बन सकता है ।।
जब पुलिसवाला वहाँ पहुँचा तो क्या देखता है कि वह बालक किसी अधेड़ महिला से एकमेक हो रहा है, दोनों एक-दूसरे से तन्मय हो रहे
___उन्हें एकाकार देखकर भी अपनी आदत के अनुसार पुलिसवाला घुड़ककर पूछता है - "क्या यही है तेरी माँ ?"
क्या अब भी यह पूछने की आवश्यकता थी ? उनके इस भावुक सम्मिलन से क्या यह सहज ही स्पष्ट नहीं हो गया था कि ये ही वे बिछुड़े हुए माँ-बेटे हैं, जिनकी एक-दूसरे को तलाश थी । जो इस सम्मिलन के अद्भुत दृश्य को देखकर भी न समझ पाये, उससे कुछ कहने से भी क्या होगा ?
उसीप्रकार आत्मानुभवी पुरुष की दशा देखकर भी जो यह न समझ पाये कि यह आत्मानुभवी है, उसे बताने से भी क्या होने वाला है ? ___ पुलिसवालों की वृत्ति और प्रवृत्ति से तो आप परिचित ही हैं, उनसे उलझना ठीक नहीं है, क्योकि यह बता देने पर भी कि यही मेरी माँ है, वे यह भी कह सकते हैं कि क्या प्रमाण है इसका ? जैसा कि लोक में देखा जाता है कि खोई हुई वस्तु पुलिस कस्टड़ी में रखी जाती है, केस चलता है, अनेक वस्तुओं में मिलाकर पहिचानना होता है, तब भी मिले तो मिले, न मिले तो न मिले ।
मेरी यह घड़ी यहीं पर रह जावे और इसे कोई पुलिस में जमा करा दे तो समझना कि अब हमें इसका मिलना बहुत कठिन है । केस चलेगा, उसीप्रकार की अनेक घड़ियों में मिलाकर मुझ से पहिचान कराई जावेगी । मैं आपसे ही पूछता हूँ कि एक कम्पनी की एक-सी घड़ियों में क्या आप