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एक सज्जन भोपाल से ललितपुर जा रहे थे। उन्होंने समय पास करने के लिये पास बैठे हुये सज्जन स पूछा-भाई साहब! आप कहाँ जा रहे हैं। वे बड़े गुस्से में बोले-क्या मतलब आपको, कहीं जा रहे हों? नहीं, साहब! ऐसे ही मैंने पूछा कहाँ जा रहे हैं? 'जहाँ गाड़ी ले जाये वहाँ जा रहे हैं।' नहीं-नहीं, मैंने बस इसलिय पूछा कि मैं ललितपुर तक जा रहा हूँ, सोचा आपसे कुछ बातचीत करूँगा तो समय आसानी से कट जायेगा, अतः पूछ लिया कि आप कहाँ तक जा रहे हैं? 'ललितपुर जा रहा हूँ |' अच्छा, आप भी ललितपुर जा रहे हैं? ललितपुर में हमारे नाना जी रहते हैं। तुम्हारे नाना जी रहते हैं तो इसमें मेरी क्या गलती?' नहीं; नहीं भाई! मैंने इसलिये पूछा कि शायद आप भी उसी मुहल्ले में रहते हांगे? जिस मोहल्ले में वो रहते हैं? 'तुम्हारे नाना जी उस मुहल्ले में रहते हैं तो मैं वह मुहल्ला छोड़ दूं क्या? समझ में नहीं आता कि कहाँ-कहाँ के लोग आ जाते हैं? अर! तुम ता नाक में दम किये हो' कहते हुए उसने अपना थैला उठाया और दूसरी सीट पर जाकर बैठ गया। अब बताओ, यह कौन-सा स्वभाव है? क्रोधी व्यक्ति को बात-बात में झुंझलाहट आती है। किसी क चेहरे को पढ़कर आप पहचान सकत हैं कि यह व्यक्ति शान्त है या उग्र स्वभावी। आँखें लाल होने लगें, भौंहें टेडी होने लगें, चेहरा तमतमा जाये तो समझ जाना कि भैया जी आपे से बाहर हो रहे हैं। आपे से अर्थात् अपने क्षमा स्वभाव स बाहर हो रहे हैं। चेहरा तमतमाना, ओंठ फड़फड़ाना और शरीर से पसीना बहने लगना, यह सब क्रोधी व्यक्ति के बाहरी लक्षण हैं। अपशब्दों का प्रयोग, गाली-गलौच करना, मारपीट पर उतारू हो जाना, यह क्रोधी के लिये सामान्य-सी बात है, जिससे सदा स्व व पर दोनों का अहित ही होता है।
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