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आकर घर में घुसा और देखा तो वह माँ तो अपने बेटे के साथ सो रही थी और वह पुरुष यह समझ रहा था कि यह तो किसी पर-पुरुष के साथ सो रही है। देखने में आया ऐसा, मगर वहाँ देखो विकार का कोई लेश नहीं उस माँ के । और सुनो, गुजरात प्रान्त का एक किस्सा है।
एक राजा ने किसी गरीब का उपकार किया, तो गरीब तो बड़ा उपकार मानते हैं, वे घर के सारे उसका बड़ा उपकार मानते हैं । एक बार राजा के पाप का उदय आया, सो उसका राज्य छिन गया, तो गरीब बनकर वह इसी धुन में घूम रहा था कि मैं कैसे अपना राज्य वापिस लूँ? तो उसने एक सेना जोड़ी, कुछ बल लगाया, कुछ लड़ाई ठानी, लेकिन वह विजय न पा सका । और जाड़े के दिन होने से उसको ठंड लग गई । ठंड से त्रस्त हुआ राजा जैसे मानो निमोनिया हो गया, बहुत परेशान हुआ, तो उस गरीब के घर के पास से गुजरा। उस समय पुरुष तो न था, पर उसकी स्त्री घर में थी । तो उस गरीब स्त्री के पास कोई विशेष साधन तो था नहीं ठंड से बचाने का, सो उस गरीब स्त्री ने कहा कि यहाँ ठंड से बचाने का और कोई उपाय तो है नहीं, पर हाँ हमारे शरीर की गर्मी तुम में पहुँच जाय तो इस तरह भी तुम्हारी सर्दी का रोग दूर किया जा सकता है । तो उस समय बीच में तलवार लगाकर वह स्त्री और राजा दोनों एक साथ सो गए। अब उस स्त्री का पुरुष आता और देखता है तो उसको देखकर उसे बड़ी शंका हो जाती है। उसे देखी हुई बात सच तो लग रही है, लेकिन थोड़ी ही देर में उसने परखा कि यहाँ तो विकार का रंच भी काम नहीं । यह बेचारा तो मर ही रहा है और आड़ में तलवार लगा ली। तो ऐसी कितनी ही बातें देखने को मिलेंगी जो दिखतीं कुछ हैं, और वहाँ बात कुछ है। अच्छा तो सुनी बात भी झूठ
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