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के लिये निकलते हैं तब एक वेश्या उन पर मोहित हो उन्हें छल से पड़गा लेती है और अंदर ले जाकर मुनिराज के शरीर से कुचेष्टायें करती है, किन्तु मुनिराज अपने शील व्रत में दृढ़ रहते हैं । बाद में वह वेश्या उनसे क्षमा माँगने लगती है । मुनिराज उसे क्षमा कर देते हैं। अंत में सुदर्शन महाराज वापिस लौट जाते हैं और ध्यान-मग्न हो जाते | अपने चारों घातिया कर्मों का नाशकर केवलज्ञान प्राप्त कर, अन्ततः मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं ।
इस दृष्टान्त से सिद्ध हो जाता है कि सद्गृहस्थ अपने षट् आवश्यकों को पालता हुआ तप करता है तो वह भविष्य में मुनिधर्म स्वीकार कर मोक्ष प्राप्त कर लेता है । अतः सभी को प्रतिदिन अपनी शक्ति अनुसार तप अवश्य करना चाहिये ।
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