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और सफेद ? असंभव - सी बात लगी, वह सोचते रहे कि काला कलूटा कोयला सफेद कैसे होगा? बीरबल बोले-हूजर कुछ समय दिया जाय फिर कोयले को सफेद करके दिखाऊँगा । बीरबल के निवेदन पर उन्हें एक सप्ताह का समय दे दिया गया। सभी सोचने लगे कि बीरबल शायद पानी, साबुन से कोयला सफेद करेगा। सातवें दिन बीरबल दरबार मे पहुँचे । बीरबल की चतुराई देखने के लिये लोगों का जमघट लगा गया। बीबरल ने काले कोयले को सबके सामने रखा और उसने आग लगा दी । कोयला धू-धू करके जलने लगा और जलकर सफेद राख बन गया । यह देखकर सभी ने बीरबल की प्रशंसा की ।
जिस प्रकार कोयले को सफेद करने का उपाय संसार में अग्नि में जलाने के अलावा दूसरा नहीं है । उसी प्रकार कर्मों से मलिन आत्मा को शुद्ध व पवित्र बनाने का उपाय उत्तम तप के अलावा दूसरा कोई नहीं है । अतः हम सभी को इन बारह प्रकार के तपों को अत्यन्त कल्याणकारी जानकर अवश्य ही करना चाहिये। जैसे सोने में लगा हुआ मैल सोने को आग में तपाने से दूर हो जाता है, उसी प्रकार अनादिकाल से आत्मा के ऊपर जो कर्मों की मलिनता लगी हुई है, वह तप के माध्यम से दूर हो जाती है ।
आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने लिखा है।
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मिट्टी में घड़ा बनने की योग्यता है, पर बिना क्रिया किए मिट्टी घड़ा नहीं बन सकती। दुग्ध में घृत है, लेकिन घृत प्राप्त करने के लिये प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी । बिना प्रक्रिया के दुग्ध से घृत संभव नहीं है। इसी प्रकार आत्मा में परमात्मा की शक्ति मौजूद है, यानी आत्मा में परमात्मा विराजमान है । पर जैसे बिना छैनी के पाषाण से
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