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________________ कि लकड़हारा दवकन्या को ही अपनी पत्नी बता देगा । आश्चर्ययुक्त हो उसन पूछा-आखिर बात क्या है? आप तो सच बोलते हैं, फिर इतना स्पष्ट झूठ आप क्यों बोल रह? ता लकड़हारा जवाब देता है कि देवता महाराज मैं जानता हूँ कि यदि मैं मना करता तो आप फिर डुबकी लगाते और अभी आपने देवकन्या निकाली है फिर आप जलपरी निकाल कर हमें दिखाते, और जब हम उसे भी इंकार कर देते तो आप फिर डुबकी लगाकर हमारी पत्नी निकाल कर दिखाते और जब सत्य का पालन करते हुए उसे हम हाँ कहते तो प्रसन्न होकर आप तीनां हमारे लिए दे दते | अर! वो तो सतयुग का सत्यवादी लकड़हारा था जो तीन-तीन कुल्हाड़ी उसे मिल गईं, मगर कलयुग में आप प्रसन्न होकर तीन-तीन स्त्रियाँ दे देते तो मेरा क्या होता? देवता महाराज, यहाँ एक को संभालना मुश्किल हो रहा है, तीन-तीन को कैसे संभाले गें? सतयुग में तो कई-कई को संभाला जा सकता था, क्षत्रिय पुरुष होते थे, अनेकों को संभाल लेते थे। देवता महाराज, ये कलयुग है और मैं तो ठहरा गरीब, तीन-तीन को लेकर क्या करता? परेशान हो जाता, अपनी इस परेशानी से बचने के लिए ही मैंने यह थोडा झठ बोल दिया। देवता वहाँ से चला गया। शायद ये कहानी काल्पनिक हो सकती है, पर ऐसी कहानी हमारे जीवन से जुड़ी हुई है | हमारे जीवन में भी इस तरह की कई प्रवृत्तियाँ / मानसिकताएँ बनती जा रही हैं। किन्तु सत्य का सहारा लेने वाला आपत्ति/ विपत्ति में भी अपने को स्थिर रखता है। अपने जीवन को प्रामाणिक बनाता है। हमें कैसी भी परिस्थिति हो, झूठ नहीं बोलना चाहिये। मुख्य रूप से व्यक्ति तीन कारणों स झूठ बालता है | 1. स्नेह 2. लाभ और 3. भय | घर परिवार या बाहरी किसी इष्ट मित्रादिक के प्रति रहने वाले (324)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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