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एक-दो मिर्गी के दौरे में फूँक देने से मिर्गी नष्ट होती है।
22. गौमय मलहम
घटक :
1. गोबर के छाणे का बारीक चूर्ण
2. गेरू मिट्टी
3. गौमूत्र क्षार
4. नीला थोथा
5. पेट्रोलियम जेली
1 किलो
निर्माण विधि : पहले नीला थोथा पीसकर फिर छोटी सी कढ़ाई में मंद आँच पर भून लें। रंग सफेद होने पर उतार लें। फिर सभी चीजों को बारीक रगड़कर पेट्रोलियम जेली में मिलाकर खरल में फिर से ख़ूब रगड़ें। बाद में शीशियों भर लें। कभी कोमल स्थान पर लगाने से जलन हो तो थोड़ा घी मिलाकर हल्का करें ।
घटक :
1. मुलतानी मिट्टी
2. ताजा गोबर
3. बावची के बीज
गुणधर्म : दाद (एक्जिमा), खाज, सिरोसिस, दूषित घाव पर लाभकारी । मात्रा : त्वचा रोग पर गौमूत्र से वह स्थान धोकर दिन में दो-तीन बार मलहम लगायें । सावधानी : आँखों में न लगने पायें ।
23. गौमय दादनाशक बट्टी
घटक :
500 ग्राम
400 ग्राम भा. प्र. नि धात्वादिवर्ग 100 ग्राम भा. प्र. नि.
1 कि. ग्रा.
1 कि. ग्रा.
200 ग्राम
गौमाता
50 ग्राम
4. नीम के पत्तों
का काढ़ा 1 भाव आवश्यकतानुसार द्र. गु. वि.
162
निर्माण विधि : ताजे गोबर में छने हुए नीम के पत्तों के काढ़े को मिलाकर मोटी चलनी से एक बार पुनः छानें। इसमें घटक 2-3 के कपड़छन चूर्ण को अच्छी तरह से मिलाकर साँचे या डाई में दबाकर टिकिया बना लें। और धूप में सुखा दें। गुणधर्म : चर्मरोग पर गुणकारी, विशेषत: दाद, एक्जिमा पर मात्रा : पानी या गौमूत्र के साथ लेप करें।
भा. प्र. नि.
भा. प्र. नि.
द्र.गु.वि. द्वितिय अध्याय 66
24. अंगराग चूर्ण (गौमय उबटन )
• मात्रा
ग्रंथ
अध्याय
पंचगव्य चिकित्सा
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