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5. पाँचों नमक
40 ग्राम
( सेंधा नमक, बीड नमक, काला नमक, सोवर्चलनमक, समुद्री नमक)
6. गौ तक्र (खट्टी छाछ) 6 लीटर
निर्माण विधि : उपरोक्त प्रमाण में सभी घटक लेकर उनका चूर्ण बनाकर एक पात्र में डाल उसमें तक डाल दें और पात्र का मुख बंदकर, 1 माह बाद छानकर रख लें। गुणधर्म : उत्तम दीपक, पाँचक, रूचिवर्धक, यकृत उत्तेजक, मल को बांधनेवाला ; शोथ, गुल्म, अर्श, कृमि, प्रमेह, संग्रहणी, अतिसार और उदर रोगों को नष्ट करता है । विशेषत : पुरानी संग्रहणी और अतिसार में उपयुक्त ।
मात्रा : 10-15 मिली दिन में दो बार भोजन के बाद पानी के साथ।
14- पंचगव्य घृत
घटक :
गोबर रस - 100 मि.ली. दूध 100 मि.ली.
गौघृत - 100 मि.ली.
निर्माण विधि: सबको एक कढ़ाई में डालकर आग पर चढ़ावें । मंद मंद आँच देवें । सिर्फ घी ही पकने के बाद शेष रहे, तब ठण्डा करके छान लेवें ।
मात्रा : 5 से 10 मिली लीटर दिन में दो बार भोजन के पूर्व तथा दो दो बूंद नाक में रात को सोते समय या तकलीफ के समय
घटक : 1. त्रिफला
2. भांगरे का रस / क्वाथ
गाय का दही
गौमूत्र - 100 मि.ली.
गुण : पुरानी सर्दी, सायनस, मिर्गी, दिमाग की कमजोरी, पागलपन, पाण्डु, शोथ, भयंकर कामला (Jaundice), बवासीर, गुल्म, ग्रह बाधा, विषमज्वर, बुद्धि मन्दता, याददाश्त की कमी पर लाभकारी है।
3. असे का रस / क्वाथ
4. आंवले का रस / क्वाथ
15. त्रिफलादि घृत
(रसतंत्रसार व सिद्धप्रयोग संग्रह भाग 1 घृततैल प्रकरण)
5. शतावर का रस / क्वाथ
6. गिलोय का रस / क्वाथ
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
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100 मि.ली.
750 ग्राम
750 मिली
750 मिली
750 मिली
750 मिली
750 मिली
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