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.. रोग क्यों होते हैं ?
रोग होने के निम्न कारण हैं। विभिन्न जीवाणुओं के किसी प्रकार से शरीर में विभिन्न अंगों पर आक्रमण करने के कारण। . शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमी के कारण. दोषों (त्रिदोष) के विषम हो जाने के कारण। . आरोग्यदायक तत्त्वों (जींस) की किसी प्रकार की कमी के कारण। कुछ खनिज तत्वों की कमी के कारण। मानसिक विषाद के कारण। किसी भी औषधि के अति प्रयोग के कारण। विद्युत तरंगों की कमी के कारण। . वृद्धापकाल में ऊपरोक्त किन्हीं के कारण। .. आहार में पौष्टिक तत्त्वों की कमी के कारण। आत्मा की आवाज के विरुद्ध काम करने के कारण! पूर्वजन्मों के पापों के कारण। (जिन्हें कर्मज व्याधियाँ कहते हैं) भूतों के शरीर में प्रवेश से भूताभिष्यंग रोग हो जाते हैं। माता पिता के वंश परम्परा से भी रोग होते हैं। विषों के द्वारा रोग होते हैं।
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गौमूत्र रोगों पर कैसे विजयी होता है?
गौमूत्र में किसी भी प्रकार के कीटाणु नष्ट करने की चमत्कारी शक्ति है। सभी कीटाणुजन्य व्याधियाँ नष्ट होती हैं। गौमूत्र दोषों (त्रिदोष) को समान बनाता है। अतएव रोग नष्ट हो जाते हैं। . गौमूत्र शरीर में यकृत (लिवर) को सही कर स्वच्छ खून बनाकर किसी भी रोग का विरोध करने की शक्ति प्रदान करता है। गौमूत्र में सभी तत्त्व ऐसे हैं, जो हमारे शरीर के आरोग्यदायक तत्त्वों की.. कमी की पूर्ति करते हैं। गौमूत्र में कई खनिज, खासकर ताम्र होता है, जिसकी पूर्ति से शरीर के खनिज तत्त्व पूर्ण हो जाते हैं। स्वर्ण क्षार भी होने से रोगों से बचने की यह शक्ति देता है। मानसिक क्षोभ से स्नायु तंत्र (नर्वस सिस्टम) को आघात होता है।
माता पंचगव्य चिकित्सा