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भगवान राम समुद्र को विनय कर रहे हैं, कि भाई रास्ता दे दो लंका में जाना है। समुद्र कहता हैं नहीं दूंगा। तुम कौन होते हो। तब तुलसीदास कह रहे हैं, भय ।। बिन होवे ना प्रीत। जब तक आप डर नहीं दिखाओगे समुद्र को, यह आपसे प्रेम नहीं करने वाला तो वही फार्मुला हमें अपनाने की जरुरत है। क्योंकि यह हमारी मान्यता .. का सवाल है। यह हमारी अस्मिता का सवाल है। यह सिर्फ कानून व्यवस्था का सवाल नहीं हैं। और मुझे बहुत खुशी हुई अभी जिस गांव में जाके आया। जिस बंजारे समाज को भारत सरकार चोर और बेईमान साबित करने में लगी है। उनकी मान्यता है कि हम कत्ल खाना बनने नहीं देगे। इसको पूरे गांव ने कहा है। कोई एक व्यक्ति ने नहीं कहा तो अगर वो इतनी ताकत से खड़े हुए है तो हमें तो उन्हें सिर्फ सहकार्य भी देना है। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना है। और सिर्फ यह एक गांव नहीं कह रहा है। उसके आजू-बाजू के 11 गांव कह रहे हैं कि यह हम कत्लखाना नहीं बनने देंगे। तो यह ग्यारह गांव की ग्राम सभायें थोड़े दिन में सौ हो सकती हैं। पूरा सोलापूर गांव की ग्रामसभा यह प्रस्ताव पारित कर सकती है कि नहीं। हम नहीं होने देंगे। तो आप की भुमिका क्या हैं? .
आप की भुमिका यह है कि जिन्होंने यह तय कर लिया हैं कि नहीं होने देगें। उनके साथ सहयोग करना हैं। बस इतनी सी भुमिका है और जो जैसा सहयोग कर सके धन से, तन से, मन से कर सके। जैसा भी सहयोग कर सके, करिए। अपनी सीमा जानते हैं कि मैं कितना सहयोग कर सकता हूँ और उनकी सीमा आपके सामने है। आपको सहयोग करना हैं बस और वो इतने कन्विन्स हैं इस बात से तो कहते हैं कि कोई लढ़ाई हमें लढ़नी पड़े। हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। फिर मैंने पुछा राजनीतिक दबाव आया तो। तो उन्होंने कहा तो क्या आता रहता है। वो तो हम पीछे नहीं हटने वाले उसमें से अगर उन्होंने इतना ठाम निर्णय ले रखा हैं तो हमको तो थोड़ा सा ही निर्णय करना है कि इनके इस काम में सहयोग देना है। लड़ाई तो वो लड़ रहे हैं हमें तो सहयोग करना है और आपका सहयोग उनके लिए बहुत बड़ी ताकत का . काम करेगा। इतनी ताकत उनको मिलेगी कि जिसकी कल्पना आप नहीं कर सकते हैं। अब सहयोग कैसे करना है, मान लीजिए कल को वो कोई बहुत बड़ा कार्यक्रम आयोजित करें धरने का, प्रदर्शन का, उपवास का, सत्याग्रह का। आप, उसमें शामिल हो जाइए। वो कोई मेमोरेंडम देने के लिए यहाँ आएं। तो आप भी उनके साथ चले जाइए। उनको यह नहीं लगना चाहिए कि यह लड़ाई अकेले वो लड़ रहे हैं। उनको यह लगना चाहिए कि पूरा समाज उनके साथ इस लड़ाई में शामिल है।
भारत के लोगों में कुछ शक्ति है यह आपको सच बता रहा हूँ इस देश के लोगों की इतनी बड़ी शक्ति है कि बड़े-बड़े एम्पायर इस देश ने हिला दिए। श्रीमती गौमाता पंचगव्य चिकित्सा