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जीवों की श्रेणीयां बना दिया। एक इंद्रिय जीव हैं, तीन इंद्रिय जीव हैं, पंचद्रिय में हम आते हैं। ऐसे-ऐसे बना दिया और उसके लिए उन्होंने फीलोसॉफी बना दिया कि इसको. मारोगे तो यह पाप है। वगैरा वगैरा निकला सब पुर्नजन्म में से । तो हम चूँकि पुर्नजन्म को मानते हैं।
पुर्नजन्म में 84 लाख योनियां हैं तरह-तरह के जीव-जंतु हैं। हमारा जन्म किसी भी योनि में हो जाए, हमको भी ऐसे ही मारे जैसे हमने मारा तो बॅलेन्स टुटेगा । तो इसमें से हम अहिंसा की तरफ बढ़ते चले गए । अहिंसा का स्थूल स्वरुप और अहिंसा का सुक्ष्म स्वरुप दोनों इस देश में विकसित होता चला गया। इसलिए हमारे दिल में बहुत ज्यादा चोट लगती है। जब गाय हत्या की बात होती हैं, पशु हत्या की बात होती हैं, जीव हत्या की बात होती है। तो हम विचलित हो जाते हैं। क्योंकि हजारों साल की मान्यता से हमने यह ग्रहण किया है। हमारा विचलन इसके लिए होता है और इसी दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग रहते हैं जो मार के खा जाते हैं । उनको कोई विचलन नहीं हैं। क्योंकि उनके यहाँ पुर्नजन्म नहीं होता है। जीव हत्या करना कोई पाप नहीं हैं फिर उनको यह समझा दिया गया है। आप जब पुर्नजन्म मानते नहीं हैं तो पूरी प्रकृति में जो भी कुछ है इसी जन्म के लिए है तो खाओ, पियो, मौज करो। तो फिलोसॉफी आयी कि खाओ, पियो, मौज करने में अगर प्रकृति का नाश होता है तो करलो बाद में बॅलेन्स कर लेंगे। उसको पहले नाश करलो तो उन्होंने जितनी भी - टेक्नोलॉजी बनायी और जो भी सायन्स विकसित किया। वह सब प्रकृति के नाश पर आधारित है। हमने भारतीय लोगों ने जो कुछ बनाया सायन्स और टेक्नोलॉजी में वो प्रकृति के सहयोग से और प्रकृति के संरक्षण पर आधारित है। हम जब पुर्नजन्म में गये तो फिलोसॉफी कहाँ तक गई। फिलोसॉफी गई
ईशा वाश्यं इदय सर्वमं
यतकिंच जगत्यामं जगत
त्येन तत्येन भुंजी था माग्रधंः कस्यसिद्धनम्
जो कुछ भी इस चराचर जगत में है। वो सिर्फ तुम्हारे लिए नहीं है औरों के लिए भी है । और तुम्हारा उस पर अधिकार उतना ही है जितना तुम्हारे लिए है। सब कुछ तुम्हारा नहीं हैं। आने वाली पीढ़ी के लिए है। इसलिए त्याग पूर्वक भोग करो - और पड़ोसी के लालच में मत फंसो । और यही फिलोसॉफी अलग-अलग शब्दों में अलग-अलग मुहावरों में अनेक - अनेक संप्रदायों में आयी । मूल वो यह है । इसलिए हमको दिल में चोट होती है और गांधीजी को भी चोट होती है कि गाय का कत्ल क्यूँ हो रहा है ! क्योंकि मैं कभी गाय बन गया तो मेरा भी होगा। भैंस का कत्ल क्यों हो रहा हैं क्योंकि मैं कभी भैंस बन गया तो मेरा भी होगा। और जब आप इस फिलोसॉफी में आगे जाते हैं। तो टेक्नोलॉजी कैसी होगी। टेक्नोलॉजी आप वही लायेगें जो आपको संरक्षित रखे। जो भी इसको डिस्टर्ब करे। ऐसी कोई टेक्नोलॉजी आप के
गौमाता पंचगव्य चिकित्सा PRECHENARN
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